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Showing posts from January, 2020

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meru teras nirvan kalyan mahotsav

आदिनाथ भ. का निर्वाण कल्याणक महोत्सव          मेरु तेरस माघ वदी तेरस (मेरु तेरस) इस दिन देवाधिदेव युगादिदेव जगपति, जिनपति, वर्तमान चोवीसी के प्रथम तीर्थंकर असि, मसि, कृषि, को समझाने वाले श्री आदिनाथ परमात्मा अपने 10000 शिष्यों के साथ श्री अष्टापद तीर्थ पर चट्टान की भांति खड़े रहकर काउसग मुद्रा में परमात्मा के चौदह गुण स्थानक में रहकर अपने दिव्य ओर अनुपम रूप को प्रज्वलित कर सभी कर्मों को क्षय कर अष्टापद तीर्थ पर मोक्ष गति को प्राप्त हुए। इस दिन को मेरु तेरस कहा जाता है। विनीता नगरी में जन्मे प्रभु की आयु 84 लाख वर्ष की थी उनके 108 पुत्र 2 पुत्रिया थी।वे पूर्व नववाणु बार सिद्धगिरी आये। प्रभु108 नमो से शुशोभित है। 500 धनुष (3000)फिट की काया वाले तीसरे आरे के अंत में तीन वर्ष साढ़े आठ मास शेष रहने पर 84 लाख वर्ष की आयु पूर्ण कर अष्टापद तीर्थ पर माघ वदी तेरस के दिन दस हजार आत्माओ के साथ मोक्ष गए।          *परिचय* प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का जन्म चैत्र कृष्ण नौवीं के दिन सूर्योदय के समय ...

Bhaktamar stotra भक्तामर स्त्रोत

  श्री भक्तामर स्त्रोत भक्तामर-प्रणत-मौलि-मणि-प्रभाणा- मुद्योतकं दलित-पाप-तमो-वितानम्। सम्यक्-प्रणम्य जिन-पाद-युगं युगादा- वालम्बनं भव-जले पततां जनानाम्।। 1॥

protect the life of birds

मूक पक्षियों की प्राण रक्षा के लिए पतंग ना उड़ाने का संकल्प लेकर उन्हें अभय दान दे। और इस सूची मे अपना नाम अंकित करे Loading… आप भी नियम लियो और आगे और लोगो को भेजिए जिससे आप भी उनके पुण्य के निमित बने। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

shri mangalashtak stotra श्री मंगलाष्टक स्त्रोत

*श्री मंगलाष्टक स्त्रोत* अर्हन्तो भगवत इन्द्रमहिताः, सिद्धाश्च सिद्धीश्वरा, आचार्याः जिनशासनोन्नतिकराः, पूज्या उपाध्यायकाः श्रीसिद्धान्तसुपाठकाः, मुनिवरा रत्नत्रयाराधकाः, पञ्चैते परमेष्ठिनः प्रतिदिनं, कुर्वन्तु नः मंगलम्

mahavir ashtak stotra श्री महावीराष्टक स्त्रोत

*श्री महावीराष्टक स्त्रोत* यदीये चैतन्ये मुकुर इव भावाश्चिदचित:, समं भान्ति ध्रौव्य-व्यय-जनि-लसन्तोऽन्तरहि ता:। जगत्साक्षी मार्ग-प्रकटन-परो भानुरिव यो, महावीरस्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥ 1॥

samadhi bhavana teri chaya bhagavan aalochana समाधी भावना तेरी छत्रछाया भगवन

समाधि-भक्ति *समाधी भावना तेरी छत्रछाया भगवन* तेरी छत्रच्छाया भगवन्! मेरे शिर पर हो। मेरा अन्तिम मरणसमाधि, तेरे दर पर हो॥

tyaag pachchakhaan niyam vrat त्याग पच्चखाण

प्रमुख पच्चक्खाण के संशुद्ध पाठ - आवश्यक निर्देशों सहित   pachchakhaan पच्चखाण 1. * नवकारसी * - उग्गए सूरे नमोकारसहियं पच्चक्खामि , चउव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं वोसिरामि।

shri namokar chalisa श्री णमोकार चालीसा

श्री णमोकार चालीसा सब सिंहो को नमन कर , सरस्वती को ध्याय | चालीसा नवकार का , लिखूं त्रियोग लगाय || महामंत्र नवकार हमारा , जन जन को प्राणों से प्यारा || १ ||

आलोचना पाठ

* आलोचना पाठ * वंदौं पाँचों परम गुरु , चौबीसों जिनराज। करूँ शुद्ध आलोचना , शुद्धिकरण के काज॥ १॥

meri bhavana मेरी भावना

Meri Bhavana मेरी भावना जिसने रागद्वेष   कामादिक   जीते   सब   जग जान लिया। सब जीवों को मोक्षमार्ग का निस्पृह हो उपदेश दिया॥

karm kaise hote hain?

आत्मा की पहचान * तर्ज – शुभ केलि के आनंद के ...... ( रत्नाकर पच्चीसी ) * कर्म कैसे बंध होते ? , पहले इसको जान लो। * कर्म आने के है रस्ते , आस्रवों को मान लो I मिथ्यात्व अव्रत प्रमाद कषाय , अशुभ योग को जानना I ये पंच आश्रव से निरंतर , कर्म पानी आवता। कर्म पंथ जाने नहीं , वे आत्मा क्या जानते I * फंसकर स्वयं भ्रम जाल में , भोले जगत को फांसते II*

dhovan pani ,garam pani धोवन पानी, गर्म पानी

धोवन पानी , गर्म पानी * भाषा विवेक * एक बात जो हमारे भाषा विवेक से बाहर होने के कारण कुछ इस तरह की बाते करते हैं। * धोवन पानी बना है क्या ?* * धोवन पानी बनाते है क्या ?*

shravak ke vachan vyavhaar niyam श्रावक का वचन व्यवहार नियम

श्रावक का वचन व्यवहार   🙏 श्रमणोपासक का वचन - व्यवहार उत्तम प्रकार का होता है । इसके आठ नियम इस प्रकार हैं : 1 . श्रावकजी थोड़ा ( कम ) बोलें।

धन्य हो भगवन्त जो ऐसे मौसम में भी विहार करते हो

धन्य हो भगवन्त जो ऐसे मौसम में भी विहार करते हो ,,* पंच महाव्रत स्वीकारे जो आपने , इतनी दृढ़ता से उनका पालन करते हो ,,

बारह प्रकार के महापापी barah prakar ke mahapapi

बारह प्रकार के महापापी   barah prakar ke mahapapi

सामायिक के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें

सामायिक के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें  Some important things for samayik सामायिक सभी को करना चाहिए। सामायिक में सावद्य योगो का त्याग होता है   और सामायिक के   बत्तीस दोष टालकर सामायिक किया जाना चाहिए |*

kewali bhagwan kitne prakar ke केवली भगवान कितने प्रकार के होते है

केवली भगवान के 7 प्रकार

aagamvani important to know जानने योग्य बातें, part 3

  important  to know   जानने योग्य बातें * पाँच पदों की भाव वन्दना के पाठ *

aagamvani important to know जानने योग्य बातें part 1

important  to know  * आह्वान आगम सम्म्मत धारणा की एकता का * * निम्नोक्त विषय पर कथन करने वालो ने शब्द एवं अर्थ के सम्बंध को तथा शब्द से प्रसंगोंपात निकलने वाले अर्थ को नही जाना है। जो यह 👇 अर्थ करते है -*

aagamvani important to know जानने योग्य बातें part 2

* आह्वान आगम सम्म्मत धारणा की एकता का * * अरिहंत , अरहंत , अरुहन्त , अरोहन्त में क्या बोलना उचित है ?*

GYAN PANCHAM SPECIAL ज्ञान पंचमी विशेष

GYAN PANCHAM SPECIAL ज्ञान पंचमी विशेष * कार्तिक सुदी पंचमी ,* आज ज्ञानपंचमी है , सम्यग् ज्ञानपद के दोहे … ज्ञानपंचमी के दिवस पर आपके बच्चों को ज्ञान की पूजा और निम्न लिखित दोहो से आराधना कराये … (1) समकित श्रद्धावंतने , उपन्यो ज्ञान प्रकाश प्रणमु पदकज तेहना , भाव धरी उल्लास !! *” ॐ ह्रिॅ श्रीॅ मतिज्ञानाय नमो नम : ”* इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसिहीआए मत्थएण वंदामि . (2) पवयण श्रुत सिध्धांतने , आगम समय वखाण पुजो बहुविध रागथी , चरण कमल चित्त आण !! *” ॐ ह्रिॅ श्रीॅ श्रृतज्ञानाय नमो नम : ”* इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसिहीआए मत्थएण वंदामि . (3) उपन्यो अवधिज्ञाननो , गुण जेहने अविकार , वंदना तेहने माहरी , श्वास मांहे सो वार !! *” ॐ ह्रिॅ श्रीॅ अवधिज्ञानाय नमो नम : ”* इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसिहीआए मत्थएण वंदामि . (4) ए गुण जेहने उपन्यो , सर्व विरति गुणखाण ! प्रणमुं हितथी तेहना , चरण कम...

वर्षीतप पारणा गीत Varshitap Parna Tapasvi song

वर्षीतप पारणा गीत * Varshitap Parna  Tapasvi song     🎼🎼🎼🎼🎼🎼🎼🎼

Tirthankars to take place in upcoming Chovisi आने वाली चोवीसी में होने वाले तीर्थंकर

आने   वाली   चोवीसी   में   होने   वाले   तीर्थंकर .

24 tirthankar २४ तीर्थंकर के नाम

  २४ तीर्थंकर  के नाम      Names of    24 Tirthankar 

णमोकार मंत्र navkar mantra नवकार मंत्र

|| नमस्कार महामंगल सूत्र : || नमो अरिहंताणं   नमो सिद्धाणं   नमो आयरियाणं   नमो उवज्झायाणं   नमो लोए सव्वसाहूणं      एसो पंच नमुक्कारो ,  सव्वपावप्पणासणो   मंगलाणं च सव्वेसिं ,  पढमं हवइ मंगलं  

kalyan mandir stotra कल्याण मंदिर स्तोत्र

kalyan mandir stotra   श्री    कल्याण मंदिर  स्तोत्र कल्याण - मन्दिरमुदारमवद्यभेदि , भीता - भयप्रदमनिन्दितमङ् - धिपद्मम्। संसार - सागर - निमज्जदशेषजंतु - पोतायमानमभिनम्य जिनेश्वरस्य॥ 1 ॥

jay jinendra

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  jay jinendra 

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