meru teras nirvan kalyan mahotsav
आदिनाथ भ. का निर्वाण कल्याणक महोत्सव मेरु तेरस माघ वदी तेरस (मेरु तेरस) इस दिन देवाधिदेव युगादिदेव जगपति, जिनपति, वर्तमान चोवीसी के प्रथम तीर्थंकर असि, मसि, कृषि, को समझाने वाले श्री आदिनाथ परमात्मा अपने 10000 शिष्यों के साथ श्री अष्टापद तीर्थ पर चट्टान की भांति खड़े रहकर काउसग मुद्रा में परमात्मा के चौदह गुण स्थानक में रहकर अपने दिव्य ओर अनुपम रूप को प्रज्वलित कर सभी कर्मों को क्षय कर अष्टापद तीर्थ पर मोक्ष गति को प्राप्त हुए। इस दिन को मेरु तेरस कहा जाता है। विनीता नगरी में जन्मे प्रभु की आयु 84 लाख वर्ष की थी उनके 108 पुत्र 2 पुत्रिया थी।वे पूर्व नववाणु बार सिद्धगिरी आये। प्रभु108 नमो से शुशोभित है। 500 धनुष (3000)फिट की काया वाले तीसरे आरे के अंत में तीन वर्ष साढ़े आठ मास शेष रहने पर 84 लाख वर्ष की आयु पूर्ण कर अष्टापद तीर्थ पर माघ वदी तेरस के दिन दस हजार आत्माओ के साथ मोक्ष गए। *परिचय* प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का जन्म चैत्र कृष्ण नौवीं के दिन सूर्योदय के समय ...