धन्य हो भगवन्त जो ऐसे मौसम में भी विहार करते हो,,*
पंच महाव्रत स्वीकारे जो आपने,
हमसे तो रजाई अपनी छोड़ी नही जाती,
उठने का मन बनाते है तो बाहर की ठंडी हवा याद आती,
आप तो ठंडी हवाओं से भी न घबराते हो,,
*धन्य हो भगवन्त जो ऐसे मौसम में भी विहार करते हो,,*
चाय गले न उतरे वहाँ तक हममे पूरा होश नही आता हैं,
नाश्ता किये बिना शरीर कही जा नही पाता है,,
आप तो आहार-पानी की चिंता छोड़ बस प्रभु का ध्यान लगाते हो,,
*धन्य हो भगवन्त जो ऐसे मौसम में भी विहार करते हो,,*
हम कार में चलते है तो हीटर ऑन रखते है,
पेदल चलते है तो स्वेटर जर्किन साथ रखते है,
आप तो उन्ही मर्यादित कपड़ो में सब कुछ सहते हो,,
*धन्य हो भगवन्त जो ऐसे मौसम में भी विहार करते हो ,,*
सर्दी गर्मी आये चाहे आये अनंत परिषह,
आप तो हमेशा सम भाव रखते हो ,,
*धन्य हो भगवन्त जो ऐसे मौसम में भी विहार करते हो,,*
आपके त्यागो का बखान मुझसे कैसे सम्भव है..?
विराट समंदर के सामने नदी की धार कैसे सम्भव है..?
रखना कृपा ऐसी आपके "संयम-समर्पण" को "शुभ" भावो से अनंत नमन,वन्दन*
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