tyaag pachchakhaan niyam vrat त्याग पच्चखाण

प्रमुख पच्चक्खाण के संशुद्ध पाठ- आवश्यक निर्देशों सहित

 pachchakhaan पच्चखाण

1. *नवकारसी* - उग्गए सूरे नमोकारसहियं पच्चक्खामि, चउव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं वोसिरामि।


2. *पोरसी/ डेढ पोरसी* - उग्गए सूरे पोरिसिं/ साड्ढ़ पोरिसिं पच्चक्खामि, चउव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं पच्छन्नकालेणं दिसामोहेणं साहूवयणेणं सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरामि।

3. *दो पोरसी* - उग्गए सूरे पुरिमड्ढं पच्चक्खामि चउव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं पच्छन्नकालेणं दिसामोहेणं साहूवयणेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरामि।

4. *एकासन/ बेआसन* - एगासणं/ बेआसणं पच्चक्खामि तिविहंपि आहारं असणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं आउंटणपसारेणं गुरुअब्भुट्ठाणेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरामि।
👉एकासन, बेआसन, एकलठाणा आदि में भोजन में सचित्त या मिश्र सामग्री का सेवन वर्जनीय है। जैसे- सलाद, अंगूर, अमरूद, अनार, तरबूज, सिका हुआ भुट्टा... आदि तथा दाल, रायता, पोए आदि में ऊपर से डाले हुए अनारदाने, धनिया पत्ती, टमाटर आदि।
कुछ व्यक्ति इस कारण एकासन नहीं कर पाते हैं क्योंकि उनको एक समय के भोजन के अलावा सुबह या दोपहर एक समय की चाय चाहिए होती है। ऐसे लोगों के लिए बेआसन का विकल्प उत्तम है।

5. *आयम्बिल* - आयंबिलं पच्चक्खामि तिविहंपि आहारं असणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं लेवालेवेणं उक्खित्तविवेगेणं गिहत्थसंसट्ठेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरामि।

6. *निवि*- निव्विगइयं पच्चक्खामि तिविहंपि आहारं असणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं लेवालेवेणं उक्खित्तविवेगेणं गिहत्थसंसट्ठेणं पडुच्च- मक्खिएणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरामि।
इसमें भोजन में आयम्बिल योग्य आहार के अलावा साथ में अचित्त नमक और मक्खन निकली हुई छाछ का सेवन किया जा सकता है

7. *उपवास* - उग्गए सूरे चउत्थभत्तं पच्चक्खामि, तिविहंपि/ चउव्विहंपि आहारं असणं (पाणं) खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरामि।

8. *बेला/तेला* - पूर्वकाल मिलाकर - छठ/अट्ठ  भत्तं पच्चक्खामि, तिविहंपि/चउव्विहंपि आहारं असणं (पाणं) खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरामि।

9. *संवर का पाठ* - द्रव्य से हिंसादि पाँच आश्रव सेवन का त्याग, क्षेत्र से सम्पूर्ण लोक प्रमाण, काल से नवकार मंत्र गिनकर पारूँ तब तक, भाव से उपयोग सहित एगविहं एगविहेणं करेमि कायसा तस्स भंते पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि।

10. *भाव दया/ दयाभाव* - दया भाव का पच्चक्खाण, द्रव्य से हिंसादि पाँच आश्रव सेवन का त्याग, क्षेत्र से सम्पूर्ण लोक प्रमाण, काल से नवकार मंत्र गिनकर पारूँ तब तक, भाव से उपयोग सहित एगविहं एगविहेणं करेमि कायसा तस्स भंते पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि।
भावदया/ दयाभाव में दिनभर में  न्यूनतम 7 सामायिक, स्वाध्याय करना, देवसि प्रतिक्रमण करना, यथाविधि परठना, संघट्ठा का त्याग रखना आदि अनिवार्य रहता है।

11.               *दयाव्रत (खाते-पीते पौषध)* - दयाव्रत का पच्चक्खाण, द्रव्य से हिंसादि पाँच आश्रव सेवन का त्याग, क्षेत्र से सम्पूर्ण लोक प्रमाण, काल से सूर्योदय तक, भाव से उपयोग सहित एगविहं एगविहेणं करेमि कायसा तस्स भंते पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि।
दयाव्रत में कम से कम 7 प्रहर (21 घंटे लगभग) संवर पूर्वक स्थानक में रहते हुए, दोनों समय का प्रतिक्रमण, दोनों समय प्रतिलेखन, न्यूनतम 11 सामायिक, स्वाध्याय करना,यथाविधि परठना, संघट्ठा का त्याग रखना आदि अनिवार्य होता है।

12. *दसवाँ पौषध* - दसवाँ उपवास सहित पौषध का पच्चक्खाण, असणं पाणं खाइमं साइमं का पच्चक्खाण, द्रव्य से सावद्य योग सेवन का त्याग, क्षेत्र से सम्पूर्ण लोक प्रमाण, काल से सूर्योदय तक, भाव से उपयोग सहित दुविहं तिविहेणं करेमि कारवेमि, मनसा, वयसा, कायसा तस्स भंते पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि।
तिविहार उपवास वालों के लिए न्यूनतम 4 प्रहर के लिए

13. *ग्यारहवाँ पौषध* - ग्यारहवाँ पडिपुण्ण पौषध व्रत, असणं पाणं खाइमं साइमं का पच्चक्खाण, अबंभसेवन का पच्चक्खाण, अमुक मणि सुवर्ण का पच्चक्खाण, मालावन्नगविलेवण का पच्चक्खाण, सत्थमुसलादिक सावज्ज जोग सेवन का पच्चक्खाण, जाव अहोरत्तं पज्जुवासामि दुविहं तिविहेणं करेमि कारवेमि, मनसा, वयसा, कायसा तस्स भंते पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि।

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