जैन तपस्या जैन तप पर शायरी
Shayri for Jain Tapasya Jain Tap
1] तपस्या से कटे कर्म अति भारी,
तप के आगे नतमस्तक दुनिया सारी।
तप के आगे नतमस्तक दुनिया सारी।
2] आओ सब करे तपस्वी का अभिनंदन
तपस्वी को तो करते हैं सब नमन
तप से होती है कर्म निर्जरा
कटते हैं भवोभव के बंधन।
3] तपस्या की आई है बहार
शांति मिलती तप से अपार
तपस्वी के क्या गायें हम गुणगान
तपस्वी से होता है कर्मों का संहार।
शांति मिलती तप से अपार
तपस्वी के क्या गायें हम गुणगान
तपस्वी से होता है कर्मों का संहार।
4] पुण्यवाणी का शुभ अवसर आया
तपस्या में तन मन लगाया
रसनेन्द्रिय पर किया विजय
दृढ़ता से कर्मों को खपाया।
तपस्या में तन मन लगाया
रसनेन्द्रिय पर किया विजय
दृढ़ता से कर्मों को खपाया।
5] गुरु भगवंतों की कृपा मिली
पुण्यवाणी भी खूब खिली
अंतर में शुभ भावों की माला से
तप की आत्म ज्योत जली।
पुण्यवाणी भी खूब खिली
अंतर में शुभ भावों की माला से
तप की आत्म ज्योत जली।
6] तपस्या की भट्टी में जो तप् गया है
कुंदन सा वही चमक गया है
तपस्या ही जीवन है मेरे बंधुओं
तपस्या में मानव महा मानव बन गया है।
कुंदन सा वही चमक गया है
तपस्या ही जीवन है मेरे बंधुओं
तपस्या में मानव महा मानव बन गया है।
7] युद्ध भूमि में योद्धा तपे, सूर्य तपे आकाश
तपस्वी साधक अंदर से तपे, करें कर्मों का नाश।
तपस्वी साधक अंदर से तपे, करें कर्मों का नाश।
8] करो तपस्या, मिटे समस्या ।
9] देखकर आपकी तपरूपी लीना,
हम भी चाहते हैं आप जैसा जीना।
हम भी चाहते हैं आप जैसा जीना।
10] तप जीवन का श्रोत है,
तप जीवन जलती ज्योत है
तप से होती है कर्म निर्जरा
तप मोक्ष मार्ग का स्तोत्र है।
तप जीवन जलती ज्योत है
तप से होती है कर्म निर्जरा
तप मोक्ष मार्ग का स्तोत्र है।
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