धोवन पानी, गर्म पानी
*भाषा विवेक*
एक बात जो हमारे भाषा विवेक से बाहर होने के कारण कुछ इस तरह की बाते करते हैं।
*धोवन पानी बना है क्या?*
इस प्रकार के प्रश्न नही पूछे।
किन्ही को धोवन पीना हो या पूछना हो तो ऐसा पूछ सकते हैं-
*धोवन पानी है क्या जी?*
किसी के पूछने पर यह भी नही कहे कि *आज धोवन पानी तो नही बनाया।*
बल्कि कह सकते हैं -
*आज धोवन पानी नही है जी।*
👉 *धोवन पानी* बनाना नही पड़ता हैं, सहज में निकलता है परन्तु *गर्म पानी* करना पड़ता हैं।
👉 *21 प्रकार के कल्पनीय, अचित्त जल बतलाये है। जिसमे 20 प्रकार का धोवन व गर्म पानी शामिल है।
👉 *गर्म पानी* करना पड़ता है पर *20 प्रकार का पानी सहज में निकलता है।* ❇️
🤔 धोवन पानी मे विशेष हिंसा नही होती जबकि गर्म पानी मे विशेष रूप से हिंसा होती है। *कारण- गर्म पानी करना पड़ेगा लेकिन धोवन पानी सहज में निकलता है।*
❇️ जिस पानी का स्वाद, वर्ण आदि बदल गया हो वह पानी अचित्त होता हैं। जैसे- राख से मांजे हुए बर्तनों का धोया पानी ✳️भी अचित्त होता है।
✳️धोने के 15/20 मिनट बाद
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