kewali bhagwan kitne prakar ke केवली भगवान कितने प्रकार के होते है

केवली भगवान के 7 प्रकार



केवली ——- जो तीन काल तीन लोक की समस्त पर्यायो पदार्थो को युगपत ( एकसाथ ) जानते है वह केवली कहलाते है
केवली 7 प्रकार के होते है
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👉1—तीर्थंकर केवली —– जिनके पंचकल्याणक होते है तीर्थंकर प्रकृति का उदय होता है जिनका समवशरण लगता है वह तीर्थंकर केवली कहलाते

👉2—–सामान्य केवली —– कोई विशेषता होने पर , सामान्य मनुष्य संयम धारण करके 4 घातिया कर्मो का नाश करता उन्हे सामान्य केवली कहते या यू भी कह सकते जिनके पंचकल्याणक नही होता , समवशरण नही लगता वह सामान्य केवली है

👉3—-अंत:कृत केवली —–जो जीव संयम धारण करके 48मिन्ट यानि अन्तरमूहूर्त मे केवलज्ञान प्राप्त कर लेते वे अन्त:कृत केवली
जैसे भरत चक्रवर्ती

👉4—उपसर्ग केवली —- संयम धारण करने पर उपसर्ग होने के बाद जिनको केवलज्ञान की प्राप्ति होती उन्हे उपसर्ग केवली कहते जैसे गजकुमार मुनि पर हुआ कुलभूषण देशभूषण मुनि
विशेष —–कभी भी उपसर्ग केवल ज्ञान होने के बाद नही होता
केवलज्ञान होने से पहले ही उपसर्ग होता है

👉5—-मूक केवली —–जिनकी वाणी केवलज्ञान होने के बाद भी नही खिरती उन्हे मूक केवली कहते है
जैसे भरत चक्रवर्ती के 923 पुत्र मूक केवली हुऐ

👉6—समुदघात केवली —-जिन केवली का आयु कर्म पूरा होने मे तथोडा समय शेष रहता लेकिन अन्य कर्म नाम , गोत्र वेदनीय ये कर्म बाकी रह गऐ तब उन को समाव करने के लिऐ आत्मा के प्रदेश फैलते है उन्हे समुदघात केवली कहते है

👉7—अनुबद्ध केवली —–एक केवली को मोक्ष हो जाने के पश्चात तुरत ही दूसरे को केवलज्ञान हो जाना , उनके बीच कोई अंतर नहीे रह जाना उन्हे अनुबद्ध केवली कहते है जैसे महावीर स्वामि के पश्चात गौतम स्वामि को हुआ
ये अनुबद्ध केवली कहलाऐ.


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