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लक्ष्य निर्धारित कर सम्यकत्व के लिए पुरुषार्थ करेंगे तो मोक्ष का मार्ग मिलेगा- पूज्य श्री अतिशयमुनिजी म.सा.

लक्ष्य निर्धारित कर सम्यकत्व के लिए पुरुषार्थ करेंगे तो मोक्ष का मार्ग मिलेगा- पूज्य श्री अतिशयमुनिजी म.सा. 

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Samayik ke 32 dosh सामायिक के बत्तीस दोष

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  सामायिक के बत्तीस दोष      मन के दस दोष :- अविवेग जसोकित्ती, लाभत्थी गव्व-भय णियाणत्‍थि | संसय रोस अविणउ, अबहुमाण ए दोसा भणियव्‍वा || १.अविवेक - विवेक बिना सामायिक करे तो "अविवेक" दोष | २.यशकीर्ति - यश-कीर्ती के लिये सामायिक करे तो "यशकीर्ती" दोष | ३.लाभार्थ - धनादि के लाभ की इच्छा से सामायिक करे तो "लाभ वाँछा" अर्थात्‌ "लाभार्थ" दोष | ४.गर्व - गर्व (अहंकार) सहित सामायिक करे तो "गर्व" दोष | ५.भय -राज्यादि के अपराध के भय से सामायिक करे तो "भय" दोष | ६.निदान - सामायिक में नियाण (निदान) करे तो "निदन" दोष | ७.संशय - फल में सन्देह रख कर सामायिक करे तो "स्शंय" दोष | ८.रोष - सामायिक में क्रोध, मान, माया, लोभ करे तो "रोष" दोष | ९.अविनय - विनयपूर्वक सामायिक न करे तथा सामायिक में देव, गुरु, धर्म की अविनय-आशातना करे तो "अविनय" दोष | १०.अबहुमान - बहुमान भक्तिभावपूर्वक सामायिक न कर के बेगारी के समान सामायिक करे तो "अबहुमान" दोष | वचन के दस द...

meru teras nirvan kalyan mahotsav

आदिनाथ भ. का निर्वाण कल्याणक महोत्सव          मेरु तेरस माघ वदी तेरस (मेरु तेरस) इस दिन देवाधिदेव युगादिदेव जगपति, जिनपति, वर्तमान चोवीसी के प्रथम तीर्थंकर असि, मसि, कृषि, को समझाने वाले श्री आदिनाथ परमात्मा अपने 10000 शिष्यों के साथ श्री अष्टापद तीर्थ पर चट्टान की भांति खड़े रहकर काउसग मुद्रा में परमात्मा के चौदह गुण स्थानक में रहकर अपने दिव्य ओर अनुपम रूप को प्रज्वलित कर सभी कर्मों को क्षय कर अष्टापद तीर्थ पर मोक्ष गति को प्राप्त हुए। इस दिन को मेरु तेरस कहा जाता है। विनीता नगरी में जन्मे प्रभु की आयु 84 लाख वर्ष की थी उनके 108 पुत्र 2 पुत्रिया थी।वे पूर्व नववाणु बार सिद्धगिरी आये। प्रभु108 नमो से शुशोभित है। 500 धनुष (3000)फिट की काया वाले तीसरे आरे के अंत में तीन वर्ष साढ़े आठ मास शेष रहने पर 84 लाख वर्ष की आयु पूर्ण कर अष्टापद तीर्थ पर माघ वदी तेरस के दिन दस हजार आत्माओ के साथ मोक्ष गए।          *परिचय* प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का जन्म चैत्र कृष्ण नौवीं के दिन सूर्योदय के समय ...

Bhaktamar stotra भक्तामर स्त्रोत

  श्री भक्तामर स्त्रोत भक्तामर-प्रणत-मौलि-मणि-प्रभाणा- मुद्योतकं दलित-पाप-तमो-वितानम्। सम्यक्-प्रणम्य जिन-पाद-युगं युगादा- वालम्बनं भव-जले पततां जनानाम्।। 1॥

protect the life of birds

मूक पक्षियों की प्राण रक्षा के लिए पतंग ना उड़ाने का संकल्प लेकर उन्हें अभय दान दे। और इस सूची मे अपना नाम अंकित करे Loading… आप भी नियम लियो और आगे और लोगो को भेजिए जिससे आप भी उनके पुण्य के निमित बने। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

shri mangalashtak stotra श्री मंगलाष्टक स्त्रोत

*श्री मंगलाष्टक स्त्रोत* अर्हन्तो भगवत इन्द्रमहिताः, सिद्धाश्च सिद्धीश्वरा, आचार्याः जिनशासनोन्नतिकराः, पूज्या उपाध्यायकाः श्रीसिद्धान्तसुपाठकाः, मुनिवरा रत्नत्रयाराधकाः, पञ्चैते परमेष्ठिनः प्रतिदिनं, कुर्वन्तु नः मंगलम्

mahavir ashtak stotra श्री महावीराष्टक स्त्रोत

*श्री महावीराष्टक स्त्रोत* यदीये चैतन्ये मुकुर इव भावाश्चिदचित:, समं भान्ति ध्रौव्य-व्यय-जनि-लसन्तोऽन्तरहि ता:। जगत्साक्षी मार्ग-प्रकटन-परो भानुरिव यो, महावीरस्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥ 1॥

samadhi bhavana teri chaya bhagavan aalochana समाधी भावना तेरी छत्रछाया भगवन

समाधि-भक्ति *समाधी भावना तेरी छत्रछाया भगवन* तेरी छत्रच्छाया भगवन्! मेरे शिर पर हो। मेरा अन्तिम मरणसमाधि, तेरे दर पर हो॥

tyaag pachchakhaan niyam vrat त्याग पच्चखाण

प्रमुख पच्चक्खाण के संशुद्ध पाठ - आवश्यक निर्देशों सहित   pachchakhaan पच्चखाण 1. * नवकारसी * - उग्गए सूरे नमोकारसहियं पच्चक्खामि , चउव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं वोसिरामि।

shri namokar chalisa श्री णमोकार चालीसा

श्री णमोकार चालीसा सब सिंहो को नमन कर , सरस्वती को ध्याय | चालीसा नवकार का , लिखूं त्रियोग लगाय || महामंत्र नवकार हमारा , जन जन को प्राणों से प्यारा || १ ||

आलोचना पाठ

* आलोचना पाठ * वंदौं पाँचों परम गुरु , चौबीसों जिनराज। करूँ शुद्ध आलोचना , शुद्धिकरण के काज॥ १॥

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