Samayik ke 32 dosh सामायिक के बत्तीस दोष



  सामायिक के बत्तीस दोष


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मन के दस दोष :-


अविवेग जसोकित्ती, लाभत्थी गव्व-भय णियाणत्‍थि |
संसय रोस अविणउ, अबहुमाण ए दोसा भणियव्‍वा ||

१.अविवेक - विवेक बिना सामायिक करे तो "अविवेक" दोष |
२.यशकीर्ति - यश-कीर्ती के लिये सामायिक करे तो "यशकीर्ती" दोष |
३.लाभार्थ - धनादि के लाभ की इच्छा से सामायिक करे तो "लाभ वाँछा" अर्थात्‌ "लाभार्थ" दोष |
४.गर्व - गर्व (अहंकार) सहित सामायिक करे तो "गर्व" दोष |

५.भय -राज्यादि के अपराध के भय से सामायिक करे तो "भय" दोष |
६.निदान - सामायिक में नियाण (निदान) करे तो "निदन" दोष |
७.संशय - फल में सन्देह रख कर सामायिक करे तो "स्शंय" दोष |
८.रोष - सामायिक में क्रोध, मान, माया, लोभ करे तो "रोष" दोष |

९.अविनय - विनयपूर्वक सामायिक न करे तथा सामायिक में देव, गुरु, धर्म की अविनय-आशातना करे तो "अविनय" दोष |
१०.अबहुमान - बहुमान भक्तिभावपूर्वक सामायिक न कर के बेगारी के समान सामायिक करे तो "अबहुमान" दोष |



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वचन के दस दोष:-

 कुवयणसहसाकारे, सछंद संखेव कलहं च विगहा वि हासोसुद्धं, णिरवेक्खो मुणमुणा दोसा दस ||

१.कुवचन - सामायिक में कुवचन (कुत्सित वचन) बोल तो "कुवचन" दोष |
२.सहसाकात - सामायिक में बिना विचारे बोले तो "सहसाकार" दोष |
३.स्वच्छन्द - सामायिक में राग उत्पन्न करने वाले संसार सम्बन्धी गीत ख्यालादि गाने गावे तो "स्वच्छन्द" दोष |
४.संक्षेप - सामायिक के पाठ और वाक्य कम कर के बोले तो "संक्षेप" दोष |
५.कलह - सामायिक में क्लेशकारी वचन बोले तो "कलह" दोष |
६.विकथा - सामायिक में स्त्रीकथा, भोजनकथा, देशकथा, राजकथा इन चार कथाओं में से कोई कथा करे तो "विकथा" दोष |७.हास्य - सामायिक में हंसी-मजाक करे तो "हास्य" दोष |
८.अशुद्ध - सामायिक में पाठों का उच्चारण भली प्रकार से नहीं करे अथवा सामायिक में अव्रती को "आओ पधारो" कह कर सत्कार-सम्मन देवे या उसे आने-जाने का कहे तो "अशुद्ध" दोष |
९.निरपेक्ष -सामायिक में उपयोग बिना बोले तो "निरपेक्ष" दोष |
१०.मुणमुण - सामायिक में स्प्ष्ट उच्चारण न कर के गुण-गुण बोले (गुन्गुनावे) तो "मुण-मुण" दोष |



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 काया के १२ दोष:-

 कुआसणं चलासणं चलदिट्ठी,सावज्जकिरिया-लंबणा-कुंचण पसारणं |
आलस्स मोड्ण मल विमासणं,निद्दा वेयावच्चत्ति बारस कायदोसा ||

 १.कुआसन - सामायिक में अयोग्य आसन से बैठे तो "कुआसन" दोष | ठांसणी मार के बैठना, पाँव पर पाँव रख कर बैठ्ना, अभिमान-सूचक आसन से बैठना आदि सभी कुआसन (अयोग्य आसन) हैं |
२.चलासन - सामायिक में स्थिर आसन न रखे, आसन बदलता रहे तो "चलासन" दोष |३.चलदृष्टि - सामायिक में दृष्टि को स्थिर न रखे तो "चलदृष्टि" दोष |
४.साबधक्रिया - सामायिक में शरीर रे सावध-क्रिया करे, घर की रखवाली करे, इशारा करे तो "सावध-क्रिया" दोष |
५.आलम्बन - सामायिक में बिना कारन भींत आदि क सहारा लेवे तो "आलम्बन" दोष |६.आकुंचन प्रसारण - सामायिक में बिना प्रयोजन हाथ-पाँव को संकोचे-पसारे तो "आकोंचन प्रसारण" दोष |
७.आलस्य - सामायिक में अंग मोड़े तो "आलस्य" दोष |
८.मोडण - सामायिक में हाथ-पाँव का कड़का निकाले तो "मोडण" दोष |
९.मल - सामायिक में मैल उतारे तो "मल" दोष १०.विमासण - गाल (कपोल) आदि पर हाथ लगाकर शोकासन से बैठे तो "विमासण" दोष अथवा सामायिक में बिना पुँजे खाज करे या बिना पुँजे चले तो "विमासण" दोष |
११.निद्रा - सामायिक में नींद लेवे तो "निद्रा" दोष |
१२.वैयावृत्य - सामायिक में अव्रती की सेवा करे, अव्रती से सेवा करावे तथा बिना कारण व्रती से सेवा करावे तो "वैयावृत्य" दोष|


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