दाधीच ब्राह्मण समाज के गोत्र, शाखाएँ तथा कुलदेवी | Dadhich Brahmin Gotra List

 

दाधीच ब्राह्मण समाज के गोत्र, शाखाएँ तथा कुलदेवी | Dadhich Brahmin Gotra List


दाधीच ब्राह्मण महर्षि दधीचि के वंशज हैं। दाहिम क्षेत्र से मूल उत्पत्ति होने के कारण इन्हें दाहिमा के रूप में भी जाना जाता है। ये मारवाड़ क्षेत्र के ब्राह्मणों के छह समूहों में से एक हैं इस समूह में दाधीच के अलावा अन्य हैं -गौड़, पारीक, सारस्वत, सिखवाल और खंडेलवाल।

दाधीच समाज के गोत्र व शाखाएं :

दाधीच ब्राह्मणों में ग्यारह गोत्र हैं जिनका नाम उन्हें ऋषियों के नामों से मिला है। ये गोत्र इस प्रकार हैं –

गौतमवत्सभारद्वाज
कोच्छसभार्गवशाण्डिल्य
अत्रेयकश्यपपाराशर
कपिलगर्ग

इन गोत्रों में कई शाखाएं ( सांख / खांप  ) हैं । इस ब्राह्मण समाज की खांपों के नाम राजस्थान के नागौर जिले में उनके प्राचीन गाँवों या क्षेत्रों के नाम पर रखा गया है जो कि अधिकतर ‘गोठ-मांगलोद’ गाँवों के आस-पास है। गोठ-मांगलोद में ही इस समाज की कुलदेवी दधिमथी माता का धाम है। ये शाखाएं इस प्रकार हैं –

गौतम
PatodhyaPalodNaval
BhabhdaKumbhyaKanth
KhatodBudsunaBagduya
VedvantVanansidraLelodhya
KakdaGagvaniBhuwal
Budadhara
वत्स
MangKoliwalRatava
BaldavaRolanyaCholsankhya
JhopatIntodhyaPolgala
NosaraNamavalKukda
AjmeraAvdigTaranva
MusyaDidel
भारद्वाज
PedwalAsopaShukl
MalodhyaBarmotaIndorewal
LyaliKaresiyaBhatlya
HulsuraSolyaniGadiya
कोच्छस
KudalGothechaDhavdoda
VetavalJatalyaDidvaniya Tiwadi
MundelDobha AcharyaManjabal
SosiMandolya
भार्गव
ShilnodhyaInaniyaLadanva
JajodhyaPrathanyaKaslya
BadaganaKapdodhyaKhewar
BisawaKuradaya
शाण्डिल्य
DahvalBahadRinva
BediyaGothval
अत्रेय
DubanyaSukalyaSutwal
Jujnodhya
कश्यप
DorolyaBalayaJamaval
CholkhyaShirgotaBadwa
RajthalaBorayada
पाराशर
Bheda VyasParasara
कपिलगर्ग
ChipdaTulchya

दाहिमा (दाधीच) समाज की कुलदेवी

दाहिमा (दाधीच) ब्राह्मणों की कुलदेवी दधिमथी माता  है। राजस्थान के नागौर जिले की जायल तहसील में गोठ – मांगलोद गाँवो के समीप दधिमथी माता का भव्य मन्दिर विद्यमान है। 

Dadhimathi Mata Darshan : Kuldevi of Dadhich Brahmin Samaj

दाहिमा (दधीचक) ब्राह्मणों की कुलदेवी को समर्पित यह देव भवन भारतीय स्थापत्य एवं मूर्तिकला का गौरव है। श्वेत पाषाण से निर्मित यह शिखरबद्ध मंदिर पूर्वाभिमुख है तथा महामारु (Mahamaru) शैली के मंदिर का श्रेष्ठ उदाहरण है। वेदी की सादगी जंघा भाग की रथिकाओं में देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, मध्य भाग में रामायण दृश्यावली एवं शिखर प्रतिहारकालीन परम्परा के अनरूप है।


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