चलेदुच्छलेत्कान्तसलिलं सलीलम्,
तवाकर्ण्य वीणामदीनां नदीनाम्।।4।। निनादय...।।
अन्वयः ― तव अदीनां वीणाम् आकर्ण्य लतानां नितान्तं शान्तिशीलं सुमं चलेत् नदीनां कान्तसलिलं सलीलम् उच्छलेत्। अये वाणि! नवीनां वीणां निनादय।
शब्दार्थ― नितान्तं = अत्यन्त (पूर्णरूपेण)।
सुमं = पुष्प (कुसुमम्)।
शान्तिशीलम् = शान्त स्वभाव या शान्ति से युक्त (शान्तियुक्तम्)।
चलेत् = झूमने लगे (चलायमानः भवेत्)।
उच्छलेत् = उच्छलित हो उठे या उछलने लगे (ऊर्ध्वं गच्छेत्)।
कान्तसलिलम् = स्वच्छ या निर्मल जल (मनोहरजलम्)
सलीलम् = खेल-खेल (क्रीड़ा) के साथ /याहिलोरें लेता हुआ (क्रीड़ासहितम्)।
तव = तुम्हारी (त्वदीयः)।
अदीनां = ओजस्विनी (ओजपूर्णाम्)।
आकर्ण्य = सुनकर (श्रुत्वा)।
भावार्थ― (हे सरस्वती!) तुम्हारी ओजस्विनी वीणा को सुनकर लताओं के अत्यन्त शान्त स्वभाव (निश्चल) पुष्प झूमने लगे, नदियों का निर्मल जल हिलोरें लेता हुआ (क्रीड़ा करता हुआ) उछलने लगे। हे सरस्वती! (ऐसी) नयी वीणा को बजाओ।
अभ्यासः
प्रश्न १. एकपदेन उत्तरं लिखत―
(एक शब्द में उत्तर लिखिए।)
(क) कविः कां सम्बोधयति?
(कवि किसको सम्बोधित कर रहा है?)
उत्तरम्― वाणीम्। (सरस्वती को।)
(ख) कविः वाणीं कां वादयितुं प्रार्थयति?
(कवि वाणी से किसको बजाने की प्रार्थना कर रहा है?)
उत्तरम्― वीणाम्। (वीणा को।)
(ग) कीदृशीं वीणां निनादयितुं प्रार्थयति?
(कैसी वीणा को बजाने के लिए प्रार्थना कर रहा है?)
उत्तरम्― नवीनाम्। (नयी।)
(घ) गीतिं कथं गातुं कथयति?
(गीत कैसा गाने के लिए कह रहा है?)
उत्तरम्― मृदुम्। (मधुर।)
(ङ) सरसा: रसालाः कदा लसन्ति?
(रसीले आम कब सुशोभित होते हैं?)
उत्तरम्― वसन्ते। (वसन्त में।)
प्रश्न २. पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत―
(पूरेवाक्य में उत्तर लिखिए।)
(क) कविः वाणीं किं कथयति?
(कवि सरस्वती से क्या कह रहा है?)
उत्तरम्― कविः वार्णी नवीनां वीणां वादयितुं ललितनीतिलीनां च मृदुं गीतिं गातुं कथयति।
(कवि सरस्वती से नयी वीणा को बजाने के लिए और सुन्दर नीति से परिपूर्ण मधुर गीत को गाने के लिए कह रहा है।)
(ख) वसन्ते किं भवति?
(वसन्त में क्या होता है?)
उत्तरम्― वसन्ते मधुरमञ्जरीपिञ्जरीभूतमालाः सरसा: रसाला: लसन्ति ललित-कोकिलाकाकलीनां च कलापाः विलसन्ति। (वसन्त में मधुर मञ्जरियों से पीले हुए रसीले आम के वृक्षों की पंक्तियाँ सुशोभित हो रही हैं और सुन्दर कोयलों के समूह का कूजन अच्छा लगता है।)
(ग) सलिलं तव वीणामाकर्ण्य कथम् उच्छलेत्?
(जल तुम्हारी वीणा को सुनकर कैसे उछलने लगे?)
उत्तरम्― सलिलं तव वीणामाकर्ण्य सलीलम् उच्छतेत्।
(जल तुम्हारी वीणा को सुनकर हिलोरें लेते हुए उछलने लगे।)
(घ) कविः भगवतीं भारतीं कस्याः तीरे मधुमाधवीनां नतां पङ्क्तिम् अवलोक्य वीणां वादयितुं कथयति?
(कवि भगवती भारती (सरस्वती) से किसके तट पर सुन्दर मालती नामक लताओं की झुकी हुई पंक्तियों को देखकर वीणा बजाने के लिए कहता है।)
उत्तरम्― कविः भगवर्ती भारतीं यमुनानद्याः तीरे मधुमाधवीनां नतां पङ्क्तिम् अवलोक्य वीणां वादयितुं कथयति।
(कवि भगवती (सरस्वती) से यमुना नदी के तट पर सुन्दर मालती नामक लताओं की झुकी हुई पंक्तियों को देखकर वीणा बजाने के लिए कहता है।)
प्रश्न ३. 'क' स्तम्भे पदानि, 'ख' स्तम्भे तेषां पर्यायपदानि दत्तानि। तानि चित्वा पदानां समक्षे लिखत―
('क' स्तम्भ में शब्द, 'ख' स्तम्भ में उनके पर्याय शब्द दिये हैं। उनको चुनकर शब्दों के सामने लिखिए।)
'क' स्तम्भः ―――― 'ख' स्तम्भः
(क) सरस्वती ――― (1) तीरे
(ख) आम्रम् ――― (2) अलीनाम्
(ग) पवनः ―――― (3) समीर:
(घ) तटे ――――― (4) वाणी
(ङ) भ्रमराणाम् ――― (5) रसाल:
उत्तरम्―
'क' स्तम्भः ―――― 'ख' स्तम्भः
(क) सरस्वती ――― (4) वाणी
(ख) आम्रम् ――― (5) रसाल:
(ग) पवनः ―――― (3) समीर:
(घ) तटे ――――― (1) तीरे
(ङ) भ्रमराणाम् ――― (2) अलीनाम्
प्रश्न ४. अधोलिखितानि पदानि प्रयुज्य संस्कृतभाषया वाक्यरचनां कुरुत―
(नीचे लिखे शब्दों का प्रयोग करके संस्कृत भाषा में वाक्य-रचना कीजिए।)
(क) निनादय
(ख) मन्दमन्दम्
(ग) मारुतः
(घ) सलिलम्
(ङ) सुमनः
उत्तरम्― (क) निनादय ― अये वाणि! नवीनां वीणां निनादय।
(ख) मन्दमन्दम् ― गजः मन्दमन्दं चलति।
(ग) मारुतः ― अद्य मारुतः तीव्र चलति।
(घ) सलिलम् ― गङ्गयाः सलिलम् पवित्रम् अस्ति।
(ङ) सुमनः ― सुमनः सुगन्धं वितरति।
प्रश्न ५. प्रथमश्लोकस्य आशयं हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत―
(प्रथम श्लोक का भाव हिन्दी भाषा अथवा अंग्रेजी भाषा में लिखिए।)
उत्तरम्― हिन्दी भाषा में भावार्थ– हे सरस्वती! नयी वीणा को बजाओ और सुन्दर नीति से परिपूर्ण मधुर गीत को गाओ। इस वसन्त (ऋतु) में मधुर मञ्जरियों से पीले हुए रसीले आम के वृक्षों की पंक्तियाँ सुशोभित हो रही हैं। सुन्दर कोयलों के समूह का कूजन अच्छा लगता है। (इसलिए) हे सरस्वती। नयी वीणा को बजाओ।
प्रश्न ६. अधोलिखितपदानां विलोमपदानि लिखत―
(नीचे लिखे शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।)
(क) कठोरम्
(ख) कटु
(ग) शीघ्रम्
(घ) प्राचीनम्
(ङ) नीरसः
उत्तरम्― (क) कठोरम् ― मृदुम्
(ख) कटु ― मधुरम्
(ग) शीघ्रम् ― मन्दम्
(घ) प्राचीनम् ― नवीनम्
(ङ) नीरसः ― सरसः
परियोजनाकार्यम्
पाठेऽस्मिन् वीणायाः चर्चा अस्ति । अन्येषां पञ्चवाद्ययन्त्राणां चित्रं रचयित्वा संकलय्य वा तेषां नामानि लिखत।
(इस पाठ में वीणा की चर्चा है। अन्य पाँच वाद्य यन्त्रों के चित्र बनाकर संकलित कर उनके नाम लिखिए।)
उत्तरम्― विद्यार्थी वीणा के अतिरिक्त अन्य किन्हीं पाँच वाद्य यन्त्रों जैसे– हारमोनियम, सितार, बाँसुरी, सारंगी, तबला इत्यादि के चित्र स्वयं संकलित कर सकते हैं।
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