चित्रण क्या करूँ उनका जिसका जीवन खुद एक विश्लेषण है
लाखों की भीड़ में बने वो पथ प्रदशक है
संयम रूपी आभूषण से जिसने अपनी आत्मा को संजोया है
वीर पथ पर चलने वाले वो हमारे गुरुवर है।
धारण कर वैराग्य, त्याग दिया जिसने संसार है
मुक्ति पथ पर बढ़ हमे समझाते जो धर्म का सार है
जीवो के प्रति भरी जिसमे करुणा अपार है
तिरते और तिराते, अमृतमय वाणी से करते वो जिनशाशन का श्रृंगार है।
समपर्ण जिसके स्वभाव में है, अर्पण जिसके संस्कार है
निर्मल विचारों का जहाँ हरपल बहता निश्छल सागर है
न राग न देष कलह का करे जो तिरस्कार है
पूरी दुनिया करती जिन्हें सत सत नमस्कार है।
दिल मे बसायी गुरुदेव आपकी ही तस्वीर है
आपके दर्शन मात्र से खिल उठी आज मेरी तक़दीर है
रहेगा हमेशा इन आंखों को आपका इंतजार है
करती हूं में आपको वंदन बारंबार है।
जैन गुरू / संत पर शायरी|जैन गुरु शायरी
- हो जाती है वो धरा पावन,
जहाँ विचरण आप करते है
धरती भी हो जाती है शीतल
जहाँ चरण गुरु के पड़ते है।
2. मोह माया को त्याग कर,
इंद्रियों का किया प्रहार
तभी तो पूरी दुनिया करती आपको
सत सत नमस्कार है।
3. अमृतवाणी से करते आप ज्ञान का प्रकाश है
तभी तो आपको देख जगमगा जाता यह आकाश है।
4. संयम के पथ पे चलने का आपने भाव संजोया है
सच पूछो तो सही मायने में बीज पूण्य का बोया है
जान लिया इस जीवन को आपने बहती धारा है
संयम के पतवार हाथ मे फिर क्या दूर किनारा है।
5. सदा न कोयल बोलती
सदा न खिलते फूल
ऐसे गुरुदेव मिलते
जब भाग्य हो अनुकूल।
6. नश्वरमान सभी भोगो को तुमने ठोकर मारी
नतमस्तक है आज आपके आगे दुनिया सारी
मुस्कुराकर मोह माया को पीछे छोड़ दिया
मुक्ति को पाने के खातिर जग से बंधन तोड़ दिया।
7. हवाओं को, फिज़ाओ को, घटाओ को नाज़ है तुम पर
बहारों को, सितारों को, नज़ारों को नाज़ है तुम पर
ओ जैन जगत के देदीप्यमान सरोवर
अमन के चमन को गगन की वसुंदरा को नाज़ है तुम पर।
8. कदमो तले जन्नत का बसेरा है जहाँ
आंखों में भरी जहाँ वात्स्यल और करुणा है
दुआ में बसते जहाँ हमारी खुशियों के राज है
ऐसे महान व्यक्तित्व को वंदन बारंबार है।
9. संयोग कहे या हमारी तक़दीर कहे
गुरु के हुए दर्शन, दिल को मिला नया दर्पण
अंकुर धर्म के फूटे, हाथ मे गुलज़ार लिए
कदम आपके बढ़े, आंखों में हज़ार सपने लिए।
10. जिंदगी तो प्यारी सी नन्ही सी वो कली है जो खुद खुदा बुनता है, माता पिता उसे गढ़ के प्यारा फूल बनाते है और गुरु उस फूल में आत्मविश्वास, ओज और क्रांति का मिश्रण करते है जिससे वह नन्हा फूल एक दिव्य प्रकाश बन लोगो को सन्मार्ग दिखाता है और भविष्य को उज्ज्वल प्रकाश के हाथों समपर्ण कर देता है।
11. नसीब उनका निराला होता है जिन्हें मिलता गुरु के चरणों मे स्थान है
दुनिया उन्ही की पुजारी होती जिसने दिया धर्म को अपने जीवन मे स्थान है
विरली वो आत्माएं होती जिन्हें देते गुरु नया जीवन का आयाम है
सरल स्वभावी गुणों से अभिव्यंजित उनके चरणों मे हमारा प्रणाम है।
Jain विनती guru se, Vinti gurni se
विनती है मारवाड़ संघ की, जिनशाशन रूपी शिरोमणि से
अनुग्रहित करे हमे आपके जिनवाणी रूपी मोती से
दर्शनाभिलाषी है पूरा जोधपुर संघ, करे आपका इंतजार
आपको पधारे हुए हो गए पूरे चार वर्ष
निहारते पलको से करते हम प्राथना
स्वीकार करो है जिनशाशन की आराधक
गुरुदेव आपके चरण पड़े धरा पर, बस यही एक आरज़ू
जिनशाशन के साधक, आपको सत सत हमारा वंदन।
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