हवा में अधर आबू की अर्बुदादेवी / अधर माता “Arbuda Mata / Adhar Mata”
Arbuda Devi Adhar Mata Temple Story in Hindi : अर्बुदादेवी का प्रसिद्ध मन्दिर राजस्थान के सिरोही जिले में आबू पर्वत में स्थित है । प्राचीन शिलालेखों और साहित्यिक ग्रन्थों में आबू पर्वत को अर्बुदगिरी अथवा अर्बुदांचल कहा गया हैं । अर्बुदादेवी आबू की अधिष्ठात्री देवी हैं । आबू पर्वत शाक्त धर्मका प्रमुख केन्द्र और अर्बुदेश्वरी का निवास माना जाता था । वहाँ नरवी तालाब से अचलेश्वर की तरफ जाते हुए अर्बुदादेवी का मन्दिर आता हैं । सफेद संगमरमर से बना यह छोटा सा मन्दिर एक ऊँची और विशाल पहाड़ी के बीचोंबीच में स्थित है और बहुत भव्य और आकर्षक लगता है।
राजस्थान का पर्वतीय स्थल एकमात्र आबू पर्वत है। यह ऋषि – मुनियों की तपोभूमि भी रही है। जैन श्वेताम्बर के राष्ट्र संत श्री शांति विजय जी महाराज ने आबू पर्वत की कन्दराओं को साधना और तपस्या का केंद्र बनाया। शेर , चीते, बाघ इत्यादि हिंसक पशु भी मुनिराज के पास पालतू पशुओं के समान बैठे रहते थे। भक्तजन भी वहाँ भय रहित आते जाते रहते थे।
श्री अर्बुदा देवी के इस शक्तिपीठ के कारण ही यह स्थान आबू कहलाया। श्री अर्बुदा देवी ही षष्टम दुर्गा कात्यायिनी दुर्गा है। देवी का शक्तिपीठ आबू पर्वत की एक विशाल पर्वत के शिखर पर एक कंदरा के भीतर है। इस प्राकृतिक गुफा में देवी माता के दर्शन हेतु बहुत झुक कर प्रवेश करना पड़ता है।
इस देवी ने अपनी लीला से आबू में यज्ञ कुण्ड की ज्वाला से परमार और परिहार राजपूतों के आदि पुरुषों को प्रकट किया। अतः यह देवी परमार और परिहार जाति के राजपूतों की कुलदेवी कहलाई। परमार और परिहार जाति के जिन जिन राजपूतों को जैन आचार्यों ने प्रतिबोधित कर महाजन बनाया उन सभी की कुलदेवी श्री अधर देवी है।
अर्बुदा देवी का शक्ति स्थल आबू पर्वत के दर्शनीय स्थलों में प्रख्यात है। मन्दिर में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग है। यह मन्दिर चमत्कारी है। भक्तों के अतिरिक्त आबू पर्वत पर आने वाले दर्शकों के लिए भी यह एक दर्शनीय स्थल है।
अर्बुदादेवी का यह स्थान अत्यन्त प्राचीन माना जाता है तथा लोक में इनकी बहुत मान्यता है । यहाँ प्रतिवर्ष चैत्र व आश्विन की नवरात्र के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को विशाल मेले लगते हैं ।
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