वर्षीतप पारणा गीत
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तर्ज- ब्याव बींदणी बिलखु
१३ मास री कठिन साधना,
फिरआयो क्षण पावनियो ।
वर्षीतप रो पारणों आयो ,
रंग उड़ाओ केसरियो ।।
देखो धरती महक रही है ,
वैशाख लगे मन भावनियो।
वर्षीतप रो पारणों आयो ,
रंग उड़ाओ केसरियो ।।
देखो परम तपस्वी आए,
फूल बरसाओ स्वागत में ।
सारी चिंता छोड़ दिए,
जो लीन हुए प्रभु जप तप में ।
नमन करोसा, करो अनुमोदन 2
वीर पुकारे प्राँगणियो ।
वर्षीतप रो पारणों आयो ,
रंग उड़ाओ केसरियो....【1】
पूर्व कर्म के दोषो से ,
जब नाथ ऋषभजी श्रमण बने।
भटके घर घर बिन बोले,
आहार मिले तो व्रत खोले ।
कोई न समझा, मौन संत का 2
श्रेयांश करायो पारणियो
वर्षीतप रो पारणों आयो ,
रंग उड़ाओ केसरियो।..【2】
संयमता ओर धीरज की,
परिभाषा ही वर्षितप हैं ।
आदिश्वर के दर्शन की,
अभीलाषा ही वर्षितप हैं ।
पुण्य कमाये, जो कर ज़ाये, 2
वर्षितप भव तारणियो ।
वर्षितप रो पारणो आयो,
रंग उडाओं केसरियो ।.【3】
१३ मास री कठिन साधना,
फिरआयो क्षण पावनियो।
वर्षीतप रो पारणों आयो ,
रंग उड़ाओ केसरियो ।
देखो धरती महक रही है ,
वैशाख लगे मन भावनियो,
वर्षीतप रो पारणों आयो ,
रंग उड़ाओ केसरियो
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