सुख के सिंधु मे, ले जाये संयम,
पाप भरे जग से, छुपाये संयमन{र}
संसार सागर, तराए संयम,
मुक्ति के द्वार, पोहोचाये संयम...
सुख के सिंधु मे….
मन में समाधी, संतोष समता,
दिल में ना मोह, माया ना ममता,
स्मित होठो पर, खुल के लेहराए,
अंखिया अंतर की, मस्त झलकाई,
नंदन वन सा, बन जाये जीवन,
सुख के सिंधु मे…..
वंदन करुं वंदन जय जय अणगारा...(४)
कर्मो को तोडे, दोषो का छोडे,
गुरु भक्ति में, तन को ये जोडे,
प्रभु आज्ञामयी, बन जाये जीवन,
दुःख के दरका, नहीं कोई कारण,
साधना ऐसी, जगमे अनुपम,
सुख के सिंधु मे…..
चाहिए प्रभुजी, कृपा तुमारी,
रहने ना पाये, साधना अधूरी,
अजित हो जाए, नाम सहारे,
किर्तन करते प्रभुजी, तुजको पुकारे,
रहना प्रभुजी, साथ में हर दम,
सुख के सिंधु मे…..
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