जैन चातुर्मास कविता Welcome Jain Chaturmas Poem
मेरे प्यारे साधर्मी भाई-बहनों को मेरा सविनय सादर जय जिनेंद्र। मैं आज आपके साथ चातुर्मास पर बनाई हुई कविता शेयर करना चाहता हूं। चातुर्मास के दिनों में धर्म के प्रति हम बहुत ही जागरुक हो जाते हैं। गुरु भगवंतों का सानिध्य मिलता है तो धर्म आराधना भी जोरदार हो जाती है। तप त्याग से जीवन प्रभावित होता है। जिनेश्वर भगवान की आज्ञा का पालन होता है। हमारा यह चातुर्मास किस प्रकार बीते? चातुर्मास के स्वागत के लिए हमे क्या तैयारी करनी चाहिए? इसका सुंदर विवेचन हम इस कविता के माध्यम से जानेंगे।
जैन चातुर्मास कविता
Welcome Jain Chaturmas Poem
हर जैनी करता है इन अनमोल घड़ियों का इंतजार
गुरु भगवंतों के सानिध्य में बीते चातुर्मास बार बार
ज्ञान दर्शन चरित्र तप का लगता रहे मेला
दौड़ दौड़ कर के आए स्थानक छोड संसार का झमेला
गुरु भगवंतों के मुखारविंद से सुनने मिले जिनवाणी
मनुष्य भव पाकर बढ़े हमारी पुण्य वाणी
सम्यक ज्ञान रूपी ज्योत को करे हम प्रकाशित
जैन धर्म के तत्व ज्ञान से होते रहे संस्कारित
सम्यक दर्शन तो मोक्ष पाने देगा हमें साथ
जिन उपदेशों को अब हमें करना है आत्मसात
सम्यक दर्शन तो मोक्ष पाने देगा हमें साथ
जिन उपदेशों को अब हमें करना है आत्मसात
सम्यक चारित्र दृढ़ करेगा हमारा संकल्प
दान, शील, तप, भाव है बहुत सारे विकल्प
सम्यक तप से करेंगे हम कर्मों को चकनाचूर
मोक्ष रूपी राह ना होगी अब हमसे दूर
गुरू भगवंतों की कृपा से लूटेंगे सद्गुणों का खजाना
महका देंगे हम हमारा जिन रूपी घराना
हर क्षेत्र में गूंजेंगे अब भगवान महावीर के नारे चातुर्मास सफल बनाने में तन मन लगा देंगे सारे।
चातुर्मास के इन दिनों को हमें सार्थक बनाना है, जिनवाणी से अपना जीवन ओतप्रोत बनाना है।
चातुर्मास की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं। आपका चातुर्मास धर्ममय बने यही वीर प्रभु के चरणों में प्रार्थना करते हैं।
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