कर्मो को समभाव पूर्वक सहन करना सीख लिया तो बार बार के जन्म मरण से उसका छुटकारा मिल जाता है ~ प्रवर्तक श्री जिनेंद्र मुनिजी म.सा
व्यक्ति हंस हंस कर कर्म तो कर लेता है।परन्तु जब किये हुवे कर्म उसके उदय में आते है तो,उन्हें सहन नही कर पाता है।व्यक्ति द्वारा किये गए कर्मो को समभाव पूर्वक सहन करना सीख लिया तो बार बार के जन्म मरण से उसका छुटकारा मिल जाता है।जीवन मे व्यक्तियों को सरलता,समभाव और क्षमा शीलता लाना चाहिए।
उक्त उदगार , जिनशासन गौरव,आचार्य श्री उमेशमुनि जी म.सा.के सुशिष्य प्रवर्तक श्री जिनेन्द्र मुनि जी म.सा. ने जैन स्थानक,लिमडी में धर्मसभा को संबोधित करते हुवे व्यक्त किये।
आपने आगे कहा कि,आज का व्यक्ति सहनशीलता नही रखने से कई परेशानियों को अपने सामने खड़ा करता हुआ कहता है कि,अब कब तक हम सहन करते रहेंगे।वीतराग परमात्मा अपनी देशना में फरमाते है कि,मानव जीवन मे जो यहां सहन करना सीख लेता है,उनका समाधन होकर सहन करने की कला से वह कर्मो की निर्जरा की करके अपने-अपने मन मे शुद्ध भावों का समावेश कर लेता है।व्यक्तियों को अपने मन मे कभी बुरे भाव और आर्द्ध ध्यान नही करना चाहिए।
इस मानव जीवन में समभाव और संयम को धारण कर आत्मा को परमात्मा की और अग्रसर करने का आव्हान किया। आपने आगे कहा कि,वह सुख भी किस काम का जिसमे हमारी कषायो से मुक्ति नही मिले।कषाय को हमे त्यागकर संयम जीवन धारण कर अपना उत्थान करना चाहिए।
धर्मसभा को पूज्य रवि मुनि जी म.सा.ने सम्बोधित करते हुवे कहा कि,गुरु के बताए हुवे मार्ग पर चलकर उन पर सच्ची श्रद्धा रखने वाला व्यक्ति कभी दुःखी हो ही नही सकता है।इस अवसर बड़ावदा संघ की और से देवेन्द्र साँड ने बड़ावदा में शेखे काल विराजने की विनती की।
तपस्या के क्रम में तृप्ति बम्ब ने ग्यारह उपवास, राजेन्द्र दुग्गड़ ने दस उपवास ,आयुषीबेन कर्णावट और निविदाबेन कर्णावट , सपनाबेन कर्णावट के नो- नो उपवास की तपस्या के प्रत्याख्यान हुवे।धर्मसभा का संचालन बाबूलाल कर्णावट ने किया। प्रभावना का लाभ महेन्द्र जीकर्णावट, प्रीतिसुधाजी साँड, दिनेशजी चोपड़ा,नेहा धवल कुमार इत्यादि द्वारा लिया गया।
चोवीसी गायन:- तपस्वी आयुषी सन्नी कर्णावट , निविदा आयुष कर्णावट के केवल गर्मजल के आधार पर नो-नो उपवास की तपस्या पूर्ण करने पर बस स्टैंड स्थित कर्णावट निवास स्थल पर संध्या में चोवीसी गायन का सुंदर आयोजन कर तपस्या की अनुमोदना करते हुवे दोनों तपस्वियों का बहुमान किया।बाद में सुशीलाबेन एच कर्णावट औऱ शौक़ीनमल जी नपावलिया द्वारा प्रभावना वितरण की गई।
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