मांगु प्रभु बस एटलुं जैन दीक्षा सोंग Mangu prabhu bus etalu Jain Diksha Geet

 Mangu prabhu bus etalu Jain Diksha Geet

मांगु प्रभु बस एटलुं  जैन दीक्षा सोंग


( राग : आटलुं भगवान मुजने आपजे ) 


वितराग तुज पाये पड़ी , हुं करुं विनंती एटली , 

साधु नो वेश क्यारे मळे , मांगु प्रभु बस एटलु . . . 

कुमकुम तणा ते छाँटणा , केसर तणा ते साथिया , 

रजोहरण क्यारे मळे , मांगु प्रभु बस एटलुं . . . 1


जे मार्ग पर आरुढ़ थई , तीर्थंकरों पण चालता , 

जे मार्गने सूरलोकना , देवो सदा ए झंखता , 

जे मार्गने ग्रहीने अनंता , जीव सिद्धि पामता , 

ए परम संयम धर्मने , होजो सदा मुज वंदना . . . 2 


जे मार्गनो महिमा वदे , तीर्थंकरो निज वाणीमां , 

जे मार्गनो महिमा गुंथे , श्री गणधरों निज ज्ञानमां , 

जे मार्गनो महिमा कहे , सहुं मुनिवरों उपदेशमां , 

ए परम संयम धर्मने , होजो सदा मुज वंदना . . . 3 

आराधना नुं अवतरण , आनंदनुं वहेतुं झरण , 

सावध सघळी पाप करणीओ , तणुं ज्यां विस्मरण ,

मारा प्रभुनी जीवन शैलीनुं ज , ज्यां छे अनुसरण , 

भय मुक्त भावे युक्त ते , चारित्र पदने वंदना . . . 4 


रहे भाव मनमां विरतिनो , प्रभु एवु सत् मने आपजे , 

मुखमां रटण नमो लोओ सव्व साहुणं नुं आपजे , 

शणगार काया पर श्रमणना , वेशनो मने आपजे , 

बने मुक्त भवथी आतमा , वरदान एवु आपजे . . . 5 


सो क्रोड श्रमणो धन्य छे , सानिध्य माणे छे सतत , 

सो क्रोड श्रमणी धन्य छे , साधे सतत निर्वाण पथ , 

क्यारेक तो हे नाथ तारो , हाथ मुज माथे फरे , 

क्यारेक तुज हाथे मने , रजोहरण प्रभु सांपडे , 

तारो हाथ मुज माथे फरे , मने रजोहरण प्रभु सांपडे . . . 6


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