सुना है आँगन, और सुना ये मन bidai geet

सुना है आँगन, और सुना ये मन

तर्ज – चाहा है तुझको।


सुना है आँगन, 
और सुना ये मन,
 गुरुवर ना जाओ, 
यही कहती है धड़कन, 
तुम छोड़ के जाओगे, 
हम सबको रुलाओगे,
 यादो के मीठे पल, 
हरदम याद आएंगे,
 प्यारी गुरुवाणी है, 
बडी ही सुहानी है, 
आज है विदाई गुरुवर, 
आंसू की रवानी है, 
सुना है आंगन, 
और सुना ये मन, 
गुरुवर ना जाओ, 
यही कहती है धड़कन।। 

गुरु के बिन कोई भी,
 ज्ञान कहाँ पाए,
 ज्ञान अमृत देने तुम,
खुद ही चले आए, 
प्रेम का धागा ऐसा बांधा,
 अब तोडा ना जाए,
 चौमासा हुआ पावन,
 धर्म लाभ है हमें,
 शब्द और सुर का संगम,
 मानते है हम तुम्हे,
 सुना है आंगन,
 और सुना ये मन,
 गुरुवर ना जाओ, 
यही कहती है धड़कन।।


पापा का सपना था, 
वो पूरा हो गया, 
चौमासे में रानीवाडा, 
पावन हो गया, 
कई चढ़ावे कई तपस्या, 
सफल हुआ चौमासा, 
रत्नाकर सूरी जी, 
गुरु हमने पाए है,
 पापा के आशीष भी, 
खूब रंग लाए है,
 सुना है आंगन, 
और सुना ये मन,
 गुरुवर ना जाओ,
 यही कहती है धड़कन।।

सुना है आँगन, 
और सुना ये मन, 
गुरुवार ना जाओ, 
यही कहती है धड़कन, 
तुम छोड़ के जाओगे,
 हम सबको रुलाओगे, 
यादो के मीठे पल, 
हर दम याद आएगे,
 प्यारी गुरु वाणी है,
 बडी ही सुहानी है, 
आज है विदाई गुरुवर,
 आंसू रवानी है, 
सुना है आंगन,
 और सुना ये मन, 
गुरुवर ना जाओ, 
ही कहती है धड़कन।। 

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