Dada Teri tasveer sirhane rakh kar sote hai
दादा तेरी तस्वीर सिरहाने रखकर सोते हैं
दादा तेरी
तस्वीर सिरहाने
रखकर सोते
हैं
यही सोचकर
अपने दोनों
नैन भीगोते
हैकभी तो तस्वीर से निकलोगे
कभी तो भेरू दादा पिघलोगे
हर बार मेरा दिल टुटा मेरी अँखियाँ भर आई हैं
नींद न आये करवट बदल बदल कर सोते हैं
यही सोचकर .......
जाने कब आ जाये हम आँगन रोज गुहारें
दादा इस छोटे से घर का कोना कोना संवारे
जिस दिन दादा नहीं आते जी भरकर रोते हैं
यही सोचकर ........
यही सोचके घबराये क्या हम इसके हक़दार है
जितना मुझको प्यार है क्या तुमको भी प्यार हैं
यही सोचकर आँखे मसल मसल कर रोते हैं
यही सोचकर ......
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