जीवन में परेशानी का कारण घर की गलत दिशा में लगे पेड़ पौधे तो नहीं

जीवन में परेशानी का कारण घर की गलत दिशा में लगे पेड़ पौधे तो नहीं, जानिए वास्तु अनुसार वृक्ष लगाने का सही स्थान



जीवन में  वृक्षों का भी बड़ा महत्व होता है कि उन्हें वास्तु के अनुसार कहां लगाकर शुभ परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं और वह कौन से स्थान पर लगे हैं जिसके कारण अशुभ परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। यह जानना अति आवश्यक है आज का मेरा महत्वपूर्ण लेख आपके बहुत काम आएगा इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें कहीं ऐसा तो नहीं जीवन में आप बहुत मेहनत करते हैं लेकिन एक छोटी सी गलती  आपको परेशान कर रही है। कोई ऐसा वृक्ष या पौधा जो आपने गलत स्थान पर लगा रखा है,  वह आप को नुकसान पहुंचा रहा है। तो यह जानना और समझना अति आवश्यक है। वृक्षो व पौधों का मानव व मानव जीवन से अटूट रिश्ता रहा है क्योंकि वृक्ष व पौधे ही जीवनोपयोगी ऑक्सीजन देकर मानव को जीवन देते हैं। केवल बढते हुये प्रदूषण को ही नहीं बल्कि जलवायु एवं वातावरण के संतुलन में भी वृक्षों का योगदान सर्वोपरि है। वृक्ष परमात्मा की दी हुई वह अदभुत वस्तु है जो मानव के रोजमर्रा के जीवन में धनात्मक ऊर्जा देने का बहुत महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। वृक्ष मानव को वह शक्ति देते हैं जो उसके जीवन में शांति व समृद्धि के लिये नितांत आवश्यक है। जीवित प्राणियों के लिये वृक्षों का होना सौभाग्यशाली है। वृक्षों से जीवन में रंग आता है, वातावरण ठंडा व शांत रहता है, प्रदूषण दूर होता है, सुरक्षा की भावना मिलती है, स्वास्थ्य लाभ मिलता है,शक्ति मिलती है। वृक्षों के बिना घर अधूरा है। वृक्षों को बच्चों की तरह से ही पालना चाहिये।प्राय: लोग अपने घरों की फुलवारी में या लॉन में छोटे-छोटे पौधे लगाया करते हैं। भवन में छोटे पौधों का अपने आप में बहुत महत्व होता है। घर में लगाए जाने वाले छोटे पौधों में कई पौधे ऐसे होते हैं जिनका औषधीय महत्व है। साथ ही उनका रसोई या सौंदर्य से  संबंधी महत्व भी है।
आज के समय में स्थान के अभाव में प्राय: लोग गमलों में ही पौधे लगाते हैं या लॉन तथा ड्राइंगरूम में सजाकर रख देते हैं। इन पौधों एवं लताओं की वजह से छोटे फ्लैटों में निवास करने वाले खुद को प्रकृति के नजदीक महसूस करते हैं एवं स्वच्छ हवा तथा स्वच्छ वातावरण का आनंद उठाते हैं।
तुलसी का पौधा इसी प्रकार का एक छोटा पौधा है जिसके औषधीय एवं आध्यात्मिक दोनों ही महत्व हैं। प्राय: प्रत्येक हिन्दू परिवार के घर में एक तुलसी का पौधा अवश्य होता है। इसे दिव्य पौधा माना जाता है।माना जाता है कि जिस स्थान पर तुलसी का पौधा होता है वहां भगवान विष्णु का निवास होता है। साथ ही वातावरण में रोग फैलाने वाले कीटाणुओं एवं हवा में व्याप्त विभिन्न विषाणुओं के होने की संभावना भी कम होती है। तुलसी की पत्तियों के सेवन से सर्दी, खांसी, एलर्जी आदि बीमारियां भी नष्ट होती हैं।वास्तु शास्त्रनुसार यदि पीपल भवन की पूर्व दिशा में हो तो घर में भय और निर्धनता व्याप्त हो सकती है। गूलर या नींबू यदि उतर दिशा में होगा तो आंखों की बीमारी हो सकती है। वट पश्चिम  में व पाकड़ का वृक्ष दक्षिण में होना अशुभ है। इसी प्रकार आग्नेय कोण में पीपल, पाकड़ या गूलर का पेड़ हो तो पीड़ादायक व मृत्युतुल्य कष्ट देता है। पश्चिम दिशा में आम या वट वृक्ष होने से मुकद्दमें, औरतों-बच्चों को तकलीफ, चोरी आदि का सामना करना पडता है। पूर्व या उतर दिशा में फलदार वृक्ष होने से संतान पीड़ा व बुद्धि नाश होती है। दक्षिण दिशा में तुलसी होने से कठोर यातना व कारागार हो सकता है।यदि शुभ वृक्ष पूर्व दिशा में हों तो भी भवन से उनकी उचित दूरी होनी चाहिये क्योंकि वृक्षों की छाया भवन पर सुबह 6 से 11 बजे तक नहीं पड़नी चाहिये। यदि ऐसा होता है तो पूर्व दिशा से आने वाली सूर्य की शुभ किरणों का लाभ नहीं लिया जा सकेगा। सूर्य की सुबह की लाभदायक किरणों को पूर्व दिशा के वृक्षों द्वारा नहीं रोकना चाहिये अन्यथा भवनवासी समृद्ध, भाग्यशाली व शांत नहीं रह सकते। दक्षिण व पश्चिम के वृक्ष भवन को दोपहर बाद की सूर्य की किरणों से बचाते हैं।सभी कांटों वाले वृक्ष व पौधे यदि घर में लगाये जायें तो ये परिजनों को चिंता व परेशानी  देते हैं। घर में रोग घर कर लेता है तथा मुकदमें में हार होती है। कांटेदार वृक्षों में से कैक्टस सबसे अशुभ है। क्योंकि इन वृक्षों के कोने ऋणात्मक ऊर्जा विसर्जित करते हैं जो भवन में रहने वालों के स्वास्थ्य व विचार शक्ति को प्रभावित कर नकारात्मक परिणाम लाती है।जिन वृक्षों या पौधों के पत्तों से दूध जैसा द्रव्य निकलता हो तो ऐसे वृक्षों को भी नहीं लगाना चाहिये क्योंकि ये द्रव्य भी ऋणात्मक ऊर्जा के बहुत बडे स्रोत कहलाते हैं।यदि किसी फलहीन वृक्ष की छाया भवन पर पडती है तो विभिन्न रोगों का सामना करना पडता है तथा अनेक विपदायें भी परेशान करती रहती हैं।वृक्षारोपण का भी एक उचित समय होता है। इन्हें शुभ नक्षत्रों व तिथियों में ही लगाना चाहिये। शुक्ल पक्ष की अष्टमी से कृष्ण पक्ष की सप्तमी तक का समय वृक्षारोपण के लिये शुभ रहता है। पौधों को पहले मिटटी के गमलों में व फिर जमीन में लगाना चाहिये। ऐसा करने से उनका विकास अच्छा रहता है।गृह के समीप यदि कांटेदार, दूध वाले आदि हानिकारक वृक्षों को निकालना संभव न हो तो इनके बीच शुभ वृक्ष जैसे अशोक, नागकेसर, शमी आदि लगाने से दोष का निवारण हो जाता है। यदि किसी भी कारण से किसी वृक्ष को निकालना आवश्यक हो जाता है तो उसे माघ या भाद्रपद माह में ही निकालना चाहिये। काटने से पहले वृक्ष की पूजा करनी चाहिये और क्षमा मांगनी चाहिये कि वृक्ष को जड़ से निकाला जा रहा है। साथ ही एक वृक्ष निकालने के स्थान पर पांच नए वृक्ष लगाने का संकल्प लेना चाहिये। ऐसा तीन माह के भीतर कर देना चाहिये। वृक्ष काटने के समय वृक्ष को पूर्व या उतर दिशा में ही गिरना चाहिये न कि पश्चिम या दक्षिण दिशा में।

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🔸वृक्षों-पौधों के स्थान व दिशा :

🍃जासमीन, गुलाब, मेरीगोल्ड, चंपक, मोगरा के पौधे धनात्मक ऊर्जा देते हैं। इन्हें घर के आसपास पूर्व या उत्तर दिशा में अवश्य लगाना चाहिये।

🍃पूर्व में वट का पेड़ मनोकामना पूर्ण करता है।

🍃तुलसी का पौधा अति शुभ व शक्तिशाली माना जाता है। इसे घर के पूर्व या उत्तर दिशा में लगाना चाहिये। कम से कम एक तुलसी ईशान कोण में अवश्य होनी चाहिये।

🍃ईशान में आंवला, आग्नेय में अनार, नेरुत्य में इमली व वायव्य में कैथ के पौधे लगाने शुभ हैं।

🍃छोटे सजावटी पौधे, लॉन, झाडियां आदि उत्तर या पूर्व दिशा में होने चाहियें।

🍃वाटिका बनाने के लिये पूर्व, ईशान व वायव्य दिशा शुभ रहती है। ईशान कोण की वाटिका में हल्के फूलों वाले पौधे व बेल, औषधीय पौधे जैसे तुलसी व आंवला लगाने चाहियें।

🍃 आम का वृक्ष शुक्र से संबंधित होता है जो है शुक्र के अधीन आने वाले आम का वृक्ष लगाना हो तो इसको आग्नेय कोण में लगाना चाहिये।यदि आग्नेयकोण में कोई दोष हो तो आम का वृक्ष लगाने से दोष का परिहार होता है।

🍃खुशबूदार वृक्ष या पौधे वायव्य कोण में लगाने चाहियें।

🍃पश्चिम में पीपल, उत्तर  में पाकड़ व दक्षिण में गूलर का वृक्ष अति उतम है।

🍃यदि क्रिसमिस व बादाम के वृक्ष लगाने हों तो इनका आकार पिरामिड रूप में होने के कारण इन्हें दक्षिण या पश्चिम दिशा में लगाना चाहिये।

🍃 रानी, चम्पा, जास्मीन आदि को घर के अंदर लगाया जा सकता है किन्तु लाल गेंदा और काले गुलाब को लगाने से चिंता एवं शोक की वृद्धि होती है।

🍃शयनकक्ष के अंदर पौधे लगाना अच्छा नहीं माना जाता। बेल वाले पौधों को अगर शयनकक्ष के अंदर दीवार के सहारे  चढ़ाकर लगाया जाता है तो इससे दाम्पत्य संबंधों में मधुरता एवं आपसी विश्वास बढ़ता है।

🍃अध्ययन कक्ष के अंदर सफेद फूलों के पौधे लगाने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। अध्ययन कक्ष के पूर्व एवं दक्षिण के कोने में गमले को रखा जाना चाहिए।

🍃 रसोई घर के अंदर गमलों में पुदीना, धनिया, पालक, हरी मिर्च आदि के छोटे-छोटे पौधों को लगाया जा सकता है। वास्तुशास्त्र एवं आहार विज्ञान के अनुसार जिन रसोई घरों में ऐसे पौधे होते हैं वहां मक्खियां एवं चीटियां अधिक तंग नहीं करतीं तथा वहां पकने वाली सामग्री सदस्यों को स्वस्थ रखती है।

🍃घर के अंदर कंटीले एवं वैसे पौधे जिनसे दूध निकलता हो, नहीं लगाने चाहिएं। ऐसे पौधों के लगाने से घर के अंदर वैमनस्य का भाव बढ़ता है एवं वहां हमेशा अशांति का वातावरण बना रहता है।

🍃 बोनसाई पौधों को घर के अंदर लगाना वास्तुशास्त्र के अनुसार उचित नहीं क्योंकि बोनसाई को प्रकृति के विरुद्ध छोटा कद प्रदान किया जाता है। जिस प्रकार बोनसाई का विस्तार संभव नहीं होता, उसी प्रकार उस घर की वृद्धि भी बौनी ही रह जाती है।

🍃 भगवान शिव को बेल बहुत प्रिय है। अनुश्रुति के अनुसार बेल वृक्ष पर साक्षात भगवान शिव वास करते हैं। जिस घर में ये वृक्ष होता है उस घर में मां लक्ष्मी पीढ़ियों तक वास करती हैं।

कुछ अन्य शुभ वृक्ष व पौधे इस प्रकार हैं - पपीता, अमरूद, सेब, गुलमोहर, नीम, नारियल, चंदन, अनानास, बादाम, अनार, आंवला व तुलसी। इनमें से हल्के व छोटे पौधे पूर्व व उतर दिशा में लगाये जा सकते हैं तथा बडे़ व भारी पेड़ पश्चिम व दक्षिण दिशा में लगाने चाहियें।
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🔸वृक्षों व पौधों से संबंधित कुछ अन्य वास्तु नियम :

🍃घर के मुख्य द्वार पर बेल नहीं चढानी चाहिये।

🍃घर के मध्य में कोई बडा वृक्ष नहीं लगाना चाहिये।

🍃पूर्व व उतर दिशा में छोटे व हल्के पौधे होने चाहिये।

🍃घर में लगाये गये वृक्षों की कुल संख्या सम होनी चाहिये।

🍃मनीप्लांट घर के अंदर लगाना चाहिये क्योंकि ये भाग्यवर्धक हैं।

🍃बडे़ व घने वृक्ष हमेशा दक्षिण व पश्चिम दिशा में ही लगाने चाहिये।

🍃पत्थरों के बुतों से बना उपवन भवन के नैऋत्य कोण में ही होना चाहिये।

🍃भवन के द्वार के बिल्कुल सामने वृक्ष नहीं लगाना चाहिये। इससे द्वार अवरोध बनता है।

🍃बट व पीपल के वृक्ष पवित्र माने जाते हैं इसलिये इन्हें मंदिर आदि के आसपास लगाना चाहिये।

🍃गुलाब को छोड़कर कोई भी कांटेदार पौधा घर में नहीं लगाना चाहिये अन्यथा शत्रु परेशान कर सकते हैं।

🍃दूधिया पौधों को घर में नहीं लगाना चाहिये क्योंकि ये भवनवासियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं तथा धन नाश करते हैं।

🍃नींबू और घरोंदा के वृक्षों को भी घर या फैक्टरी में नहीं लगवाना चाहिये।यदि नींबू के वृक्ष को नहीं हटा सकते तो उसके आस पास तीन तुलसी के पौधे लगा देने चाहियें।

🍃बडे़ व घने वृक्ष भवन के बिल्कुल समीप नहीं लगाने चाहिये क्योंकि उनकी जडे़ं भवन को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

🍃भवन की दीवारों का सहारा लेकर किसी भी बेल को नहीं लगाना चाहिये। बेल को बाग में ही किसी अन्य सहारे के बढ़ने देना चाहिये।


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