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Mare Banvu Angar  Jain Diksha Song  lyrics 

मानव जन्म सफळ करवा काजे…
मानव जन्म सफळ करवा काजे छोड्यो जेने परिवार,
धन अणगार… धन अणगार… धन धन ते अणगार…

diksharti

मारे बनवुं अणगार… मारे बनवुं अणगार,
मारे तरवुं संसार… मारे बनवुं अणगार,
संयम… संयम… संयम… संयम… मारे लेवो संयम…
प्रभु पंथ ने पामी करुं हुं… आतमने उजमाळ,
गुरु चरण ग्रहिने मारे थावुं छे भवपार,
मुज नैया पार उतार… मारे बनवुं अणगार…
मुज नैया पार उतार… मारे बनवुं अणगार…
मारे बनवुं अणगार… मारे बनवुं अणगार,
मारे तरवुं संसार… मारे बनवुं अणगार,
संयम… संयम… संयम… संयम… मारे लेवो संयम…
ज्ञान ध्यान नो योग बन्यो जे अनंतनो आधार,
ए योग ने साधी ने मारे करवो निज निस्तार,


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