जानिए क्या कहा जैन मुनि शिवाचार्य जी ने lockdown 4 के बारे मे





श्रमण संघ जयवंत हो 
जय महावीर
॥ जय आत्म ॥ ॥ जय आनन्द ॥ ॥ जय देवेन्द्र ॥ ॥ जय ज्ञान॥ ॥ जय शिव आचार्य || 


आध्यात्मिक संदेश 


चातुर्मास हेतु वाहन विहार निषेध


आत्मार्थी साधु साध्वीवृंद एवं श्रावक श्राविकाओं से निवेदन हैं कि- चातुर्मास काल ज्यों-ज्यों नजदीक आ

रहा है अधिकांश साधु साध्वीओं को अपने पूर्व घोषित चातुर्मास स्थल की ओर बढ़ने की भावना हो रही है। वर्तमान
में कोरोना वायरस का प्रकोप जिस प्रकार चल रहा है उससे ऐसा लगता है कि यह लंबा चलेगा, फिर भी सबको
सावधानी रखना अनिवार्य है। भारत सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पूर्ण पालन आवश्यक है।



अधिकांश साधु साध्वीयोंने सैकड़ों किलोमीटर के विहार का कार्यक्रम परिवर्तित किया है और वे अभी जहां

विराजमान है उसके आसपास के क्षेत्र में उन्होंने अपना चातुर्मास घोषित किया है। यह अभिनंदनीय है।
लॉकडाउन 4 के नियम शीघ्र ही हमारे सामने आने वाले हैं। सरकारी नियमों का पालन राज आज्ञा
है तथा संघ समाचारी का पालन देव आज्ञा है, दोनों का उल्लंघन करने वाला साधु साध्वी तीसरे महाव्रत में
दोष का भागी बनता है।



कुछ लोगों ने यह भ्रम फेलाया है कि वाहन विहार के बारे में आचार्य श्री जी का क्या कहना है?

क्या आचार्य श्री जी ने वाहन विहार की आज्ञा दी है?
आप सभी को सूचित किया जाता है कि - वाहन विहार की आज्ञा किसी को भी नहीं दी गई है,
अगर कोई चातुर्मास स्थल पर पहुँचने के लिए वाहन विहार करेगा तो उस पर उचित कार्यवाही होगी।
सभी साधु साध्वीयों को निवेदन है कि वे प्रवचन, सत्संग, विहार चर्या आदि में सरकारी नियमों
का पूर्ण ध्यान रखे। इस विकट परिस्थिति में अपने पूर्व घोषित चातुर्मास क्षेत्र या अपनी संस्था तक भी
पहुँचने का मोह त्याग कर जो जहाँ है वही आसपास नजदीक के क्षेत्र में चातुर्मास करने का ही विचार
करें।
एक सामान्य साधु की तरह सरकारी व्यवस्थाओं का सहयोग लेकर पद विहार कर निकटतम चातुर्मास स्थल
की ओर बढ़े। इस संकट के समय में विवेक पूर्वक कार्य करेंगे तो जिन आज्ञा के आराधक एवं जिनशासन
के प्रभावक कहलाएंगे। आज जैन साधु के त्याग का ही महत्व हैं। त्याग, विवेक, संयम से कार्य लेंगे तो समाज
सदेव आपकी सेवा में रहेगा। इस विकट परिस्थिति में किसी भी प्रकार की सेवा की आवश्यकता हो तो अवश्य
फरमावें।


सहमंगल मैत्री,
दिनांक - 15.05.2020 
स्थान - सूरत, गुजरात
 (आचार्य शिवमुनि)

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