भीषण गर्मी मे भी साधु भगवंत जी विहार करते
हुए छोटे बड़े सभी गांव नगर विचरण करते है । जिन वाणी से धर्म रूपी बागों को सिंचित करते हुए श्रावक श्राविकाओं को सम्यक ज्ञान प्रदान करते है। कविता![]() |
www.jinvachan.blogspot.com |
पारा चढ़ा है 45 डिग्री पर, गर्मी की सीमा है चरम...
नंगे पैर विहार करे , देखो कैसा चढ़ा इनपर संयम रंग...
उग्र विहार करते है ,फिर भी चेहरे पर न कोई सिकन है,,
देखो गुरुभवन्तो की दिनचर्या , मन मे आश्चर्य अजब है,,
भीषण है गर्मी फिर भी सुबह शाम करते उग्र विहार..
न धोवन पानी की सुलभता , न मीले पर्याप्त आहार...
रोड़ पर अगर नंगे पैर स्पर्श करें तो शायद थोड़ा अनुभव हो हमें,
इस मौसम में विहार का अर्थ पता लगे जो थोडी लू की लपटे लगे हमे ,
गुरुभगवंत के इतने उपकार का ऋण चुकाना तो मुश्किल है ..
लेकिन कुछ छोटे प्रयास करना तो मुमकिन है ...
जहाँ तक बन सके विहार में भूमिका निभाएं हम,,
वेयावच्च में सहयोगी बन माता पिता का फर्ज निभाये हम,,
गुरुभगवंत है अनमोल धरोहर उनकी रक्षा में प्रयासरत रहे ..
निकाल सके अगर थोड़ा समय तो संग विहार में अवश्य चले ..
.
- "अणुकृपाकांक्षी शुभम"
Read more information and stories of jainism
www.jinvachan.blogspot.com
Visit everyday for new information
Allow notifications for daily post
No comments:
Post a Comment