आधुनिक भारत में नारी। विषय पर सारगर्भित निबंध लिखिए : (200 से 250 शब्दों में)

 आधुनिक भारत में नारी। विषय पर सारगर्भित निबंध लिखिए : (200 से 250 शब्दों में)

-----:  आधुनिक भारत में नारी। विषय पर सारगर्भित निबंध :-----

हमारे भारतीय समाज में नारी को बचपन से ही कुछ संस्कार दिए जाते है। और वो संस्कार उसे सहज कर रखना होता है। जैसे धीरे बोलों, किसी के सामने ज्यादा नहीं हंसना, समझदार बन कर रहना। इन सब मे उस बच्ची का बचपन न जाने किस अँधेरे कमरे में गुम हो जाता है। हमारा पुरूष प्रधान देश क्यु नहीं समझता कि नारी प्रकृति का अनमोल उपहार है। उसके मन में कुछ कोमल संवेदनाएँ होती है। जो उसे खुबसूरत बनाती है। वो एक ममता का रूप है और इस ममता रूपी नारी को हर रूप में हमेशा छल कपट ही मिला है। परन्तु आज की नारी इन सब बातो को छोड़कर काफी आगे निकल आई है।

आज नारी में आधुनिक बनने की होड़ लगी है। नारी के जीवन में बहुत परिवर्तन हुआ है, क्षेत्र में आगे बड़ रही है, बदल रही है और ये परिवर्तन सभी को देखने को मिल रहा है। पहले नारी का जीवन घर की चार दीवारों में ही बीत जाता था। चूल्हा-चौका करके और संतान पत्ति तक ही उसका जीवन सिमित था। विशेष रूप से नारी का एक ही कर्त्तव्य था। घर संभालना, उसे घर की इज्जत मान कर घर में ही परदे के पीछे रखा जाता था। उसे माँ के रूप में, पत्नी के रूप में, बेटी के रूप में, इसके अतिरिक्त धर्य एवं त्याग का और नारी को पृथ्वी की संज्ञा दी गयी है। झाँसी लक्ष्मीबाई और पन्ना धाय जैसी कई नारियो ने इतिहास में नारी शक्ति और त्याग को सिद्ध किया है। वास्तव में दमन का विरोध और प्रगतिशील नवीन विचारों को अपनाना ही नारी का आधुनिक होना है और ऐसा प्रत्येक युग में करती रही है। नारी ने अगर कुछ कहा या करा तो उसमे किसी न किसी रूप में ऊँगली उठा दी गयी।


आज की भारतीय नारी चार दीवारी से निकल कर अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो गयी है। शिक्षित होकर विभिन्न क्षेत्रों में वो अच्छा प्रदर्शन कर रही है। नारी को भोग्या मानने वाले पुरुष प्रधान समाज में नारी ने प्रमाणित कर दिया की वो भी इस पुरुष प्रधान देश में अपना लोहा रख सकती है। आज उसकी प्रतिभा और द्रष्टिकोण पुरुष से पीछे नहीं है। साहित्य, शचिकित्सा, विज्ञान, अनेक ऐसे क्षेत्र है। जिसमें नारी ने अपनी प्रतिभा प्रदर्शीत की है। केवल पुरुष का क्षेत्र मानने वाले पुलिस विभाग में मुस्तैदी से अपना कार्य कर रही है। और पुरुष से पीछे नहीं है। कल्पना चावला, बछेंद्री पाल, ऐसी कई स्त्रियाँ है अगर जिनका नाम गिनने लगे तो शायद पूरी किताब पड़ ले उनके बारे में या लिखने बैठे तो कॉपी के पन्ने भी कम पड़ जायेंगे आज नारी अंतरिक्ष में जाने के साथ ही हिमालय की दुर्गम चोटी पर भी चढ़ रही है। और ऐसा कोई क्षेत्र नहीं छोड़ रही है जहाँ वो अपनी विजय का झंडा ना फेरा रही हो।


नया भारत कई बदलावों से गुजर रहा है। सामाजिक परिवर्तन हर जगह दिखाई देता है। देश में महिलाओं की स्थिति में बदलाव हो रहा है, हालांकि यह परिवर्तन क्रमिक है।

नारी में विधमान उसकी प्रतिभा और प्रगति समाज के लिए आवश्यक है। परन्तु आधुनिकता के नाम पर नारी को समाज को दूषित करने का कोई अधिकार नहीं है। क्युकी नारी का दर्जा माँ, बेटी, और किसी की पत्नी और साथ ही माँ दुर्गा, सरस्वती के रूप में पूजी जाती है। इसलिए उसको भी इनका सम्मान रखते हुए आगे बढ़ना हे ना की रिश्तो को तोड़कर परीवार को अलग करके आधुनिकता को अपनाना है वैसे भी नारी का दर्जा समाज को सम्मान दिलाने के लिए है समाज को परिवार की तरह जोड़कर रखने के लिए है, ना की तोड़ने के लिए।

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