किसी भी दम्पति का दाम्पत्य जीवन तब तक अधूरा है
जब तक उन्हें संतान-सुख की प्राप्ति ना हो. भारतीय परिवारों मे जब भी किसी नन्हें मुन्ने बच्चे का जन्म होता है तो परिवार में उत्सव और खुशी का माहौल होता है. ये खुशियाँ लाती है अपने साथ ढेर सारी जिम्मेदारियाँ, जिनको निभाना हर माता-पिता का नैतिक कर्तव्य होता है. इन जिम्मेदारियों को निभाने के लिए हर माता-पिता को कठिन परिश्रम से गुजरना पड़ता है (Child Care Tips For Parents In Hindi). विशेषकर एक माँ के लिए यह किसी तपस्या से कम नहीं है. शिशु की सही तरीके से परवरिश (बच्चों की देखभाल) हो इसके लिए एक माँ को कुछ बातों का ज्ञान होना अतिआवश्यक है. शिशु के जन्म से लेकर उसके एक वर्ष तक होने मे उसे कुछ चरणों से गुजरना पड़ता है जैसे कि बच्चे का दाँत आना, अन्नप्राशन, घुटनों के बल चलना आदि. एक शिशु का शरीर फूल जैसा नाजुक और त्वचा बहुत ही कोमल व संवेदनशील होती है. आइए जानते हैं कि किन उपायों ( Baby Care Tips in Hindi) को अपनाकर आप अपने शिशु की सेहत व त्वचा का ख्याल रख सकती हैं (शिशु की त्वचा का कैसे रखे ख़याल – बच्चों की देखभाल)Baby Care Tips In Hindi
शैशवकाल में की गई अच्छी देखभाल (बच्चों की देखभाल) बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. शिशु को आरम्भ के छह महीने केवल माँ का दूध ही पिलाना चाहिए. माँ का दूध पौष्टिक तत्वों से भरपूर होने के साथ साथ बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है. यदि किसी कारणवश माँ अपना दूध पिलाने मे असमर्थ हो तो डॉक्टर की सलाह पर दूध पाउडर को गुनगुने पानी में घोलकर पिलाना चाहिए. इस प्रकार के दूध पाउडर विशेषतः बच्चों के लिए ही बने होते हैं.
बच्चे की छमाही के बाद बच्चे के आहार की पूर्ति घर में बने अन्य भोज्य पदार्थों जैसे कि दाल का पानी, चावल का पानी, दूध में रोटी मसल कर, मसला हुआ केला आदि से करना चाहिए. बच्चे को समय समय पर पानी भी पिलाते रहें. बच्चे के जब दाँत आने लगे तो समझ लेना चाहिए कि अब उसे माँ के दूध की अधिक आवश्यकता नहीं है. माँ यदि चाहे तो अपना दूध पिलाना छुड़ा सकती है.
(Child Care Tips For Parents In Hindi)
शिशु जैसे जैसे बड़ा होता है, अभिभावकों की जिम्मेदारी बढ़ती जाती है. बच्चे को हमेशा घर की चारदीवारी में बंद ना रखें. उसे बाहर के वातावरण से भी परिचित करायें. यह उसके बौद्धिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है. बच्चे को सुबह सुबह नरम धूप लगने दें. जिससे उसे विटामिन डी की कमी ना हो.
बच्चा जब घुटनों के बल चलने लगे तो उसका विशेष ध्यान रखें. उस पर हमेशा नज़र बनाए रखें.
एक वर्ष तक के बच्चों का सोने और जागने का कोई निर्धारित समय नहीं होता. वे अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार सक्रिय रहते हैं और जब थक जाते हैं तो सो जाते हैं. बच्चा जहाँ सोये वहाँ किसी प्रकार का कोलाहल ना होने दें.
बच्चों को संगीत सुनना आदि बहुत प्रिय होता है. बच्चा यदि रोए और उसको सोने मे दिक्कत हो तो आप उसे गोद में लेकर लोरी सुनाये. इससे बच्चा चुप हो जायेगा और सो जायेगा.
बच्चो को स्वस्थ रखने के कुछ उपाय
(Baby Healthy Tips In Hindi)
शिशु को हमेशा साफ सुथरा रखें. अक्सर माताएँ बच्चे की स्वच्छता की ओर अधिक ध्यान नहीं देतीं, जिसके कारण बच्चों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता. यदि आपको अपना बच्चा रोगमुक्त और स्वस्थ रखना है तो बच्चे की साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें.
बच्चे को प्रतिदिन नहलायें. उसके कपड़े साफ सुथरे, सूखे व प्रेस किये हुए हो. बच्चों के कपड़े पूरे दिन मे कम से कम दो बार अवश्य बदलें. उसके खिलौने, बिस्तर, पालना आदि को भी साफ सुथरा रखें. नहलाने से एक घंटे पहले बच्चे की मालिश अवश्य करें. मालिश के लिए तेल डॉक्टर की सलाह से लें. नारियल या जैतून का तेल बच्चों की मालिश के लिए उत्तम माने जाते हैं. नारियल का तेल त्वचा को रूखेपन से बचाता है और जैतून के तेल से मांसपेशियां मजबूत होती है. बच्चे अक्सर रोते हैं, परंतु जब वे ज्यादा रोये तो समझ जाना चाहिए कि उसे कुछ तकलीफ है. ऐसी स्थिति मे बाल रोग विशेषज्ञ से इलाज कराये.
शिशु की त्वचा का कैसे रखे ख़याल
(Baby Skin Care Tips In Hindi)
शिशु की त्वचा की देखभाल : शिशु की त्वचा को रूखेपन से बचाने के लिए उसे दिन में कम से कम दो बार नारियल के तेल से मालिश अवश्य करें. बच्चे को नये कपड़े पहनाने से पहले कपड़ों को अच्छी तरह से धो लें, वरना बच्चे की कोमल त्वचा को एलर्जी हो सकती है.
बच्चे को काजल, खुशबू वाला पाउडर, परफ़्यूम आदि ना लगायें. इससे त्वचा को संक्रमण या एलर्जी हो सकती है. बच्चे को बाहर निकालने से पहले उसे पूरे बाजू व पूरे पैर वाले कपड़े पहनाए. रात मे बच्चे को मच्छर आदि से बचाने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें.
Baby Fairness Tips In Hindi
शिशु की त्वचा का रंग (complexion) काफी हद तक उसकी अनुवांशिकता पर निर्भर करता है. आपके बच्चे का complexion ईश्वर प्रदत्त जो भी है उसे सहर्ष स्वीकार करें. परन्तु फिर भी यदि आप अपने बच्चे की रंगत को गोरा करना चाहती है तो उसकी मालिश नारियल के तेल से करें.
सप्ताह में एक बार बच्चे को नहलाने के लिए साबुन की जगह बेसन और मलाई के मिश्रण का प्रयोग करें. नहलाते समय ध्यान रखें कि यह मिश्रण उसके आँख, नाक व मुँह में ना जाये.
उसके आहार में संतरे का रस, नारियल का पानी, विटामिन सी व ई युक्त भोज्य पदार्थों को शामिल करें. इससे उसकी त्वचा में कुदरती रूप से निखार आयेगा.
शिशु की त्वचा बहुत संवेदनशील होती है, इसलिए उसकी त्वचा के साथ ज्यादा experiment ना करें.
उपर्युक्त सुझावों और टिप्स को फॉलो करके आप भी एक स्वस्थ शिशु के माता-पिता कहलाने मे गर्व महसूस करेंगे.
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