बेले बेले तप अभिग्रह करते हुये 15 वर्ष पूर्ण हुए
इंदौर ( म. प्र.)
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1783 वा अभिग्रह
13/12/20, रविवार
‼पूज्य गुरुदेव तपकेसरी महाअभिग्रहधारी, सर्व धर्म दिवाकर शेरे पंजाब ,वर्तमान के गुरुवेणी श्री राजेश मुनिजी म .सा . जी का आज का 1783 वा अभिग्रह‼
अभिग्रह क्या है ?
उपवास के बाद या उपवास के बिना अपने अपने मन में भी निशाय कर लेना की अमुक बातो के मिलने पर ही पारणा या आहार
ग्रहण करूँगा – इस प्रकार की प्रतिज्ञा को अभिग्रह कहते है I अभिग्रह क विषय में प. पू. श्री आचर्य भगवंत ने ” अणु स्तोक संग्रह ” में पाठ २० “प्रख्यान आवश्यक का थाकोड़ा” में पेज १२३ पर लिखा है –
१. सावधि – सावधि का अर्थ है अमुक समय में मेरा अभिग्रह जाये तो ठीक नहीं तो में दो या या तीन पोरसी बाद पारणा कर लूंगा वर्ना उपवास.
२. निरावधि – निरवधि अर्थात जहां तक अभिग्रह नहीं फले वहां तक आहार नहीं करना जैसे भगवान महावीर ने ६ माह ५ दिन तक आहार नहीं किया , उसने कोई अवधि नहीं बंधी थी |
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