सुविचार अनमोल वचन Suvichar Anmol Vachan Good Thoughts

                      सुविचार अनमोल वचन  
      Suvichar   Anmol Vachan  Good Thoughts                           



1-जो दान करते है,वे अपने अभिमान को हरते हैं।   
2-दान से तीर्थ चलता अतः सदा दान करते रहिये।
3-योग्य वस्तु का योग्य जीव को देना ही तो दान है।
4-दान मान के लिए नहीं,मान त्यागने के लिए दिया जाता है।
5-ज्ञानी ही दानी है,अज्ञानी तो मानी है।
6-ज्ञानदान समान अन्य कोई भी दान नहीं है।
7-जियों और जीने दो,यही तो है अभयदान।
8-दान देने से,लेने वाला बड़ा होता है अतः दान सदा आदरपूर्वक दीजिए।
9-दान,वात्सल्य का एक सुंदर रूप है।
10-जो पहले आहार दान नहीं करते हैं,वे आहार करने की पात्रता से वंचित रहते हैं।
          

1-अब ज्यादा सोचने की नहीं,निश्चिन्तता पूर्वक जीवन जीने की आवश्यकता है।
2-होगा वही जो क्रमबद्ध में निश्चित है तो अपन भी निश्चिन्त रहो न।
3-चिंता से काम बिगड़ना ही बिगड़ना है,बनना कुछ भी नहीं है।
4-आयु है तो कोई कोरोना हमें,मार ही नहीं सकता है।
5-उदय को अपना मानना ही,उदय से जुड़कर दुख भोगना है।
6-संकट की घड़ी में,समता से बड़ी कोई दूसरी वैक्सीन नहीं है।
7-देखों कैसा होता है ये उदय का खेल,सारी दुनियां की होशियारी आज इसके आंगे फेल हो रही है।
8-सबसे दूर-दूर भगते थे न,प्रकृति ने सबसे दूर ही कर दिया।
9-जब समय आयेगा तो और तो सब ठीक होगा ही,कोरोना भी पता नहीं कहाँ चला जायेगा।
10-धैर्य रखने वालों को न सही रोग,रोग की चिंता से तो निजात मिल ही जाती है।
         

1-आँख से नहीं,सचमुच ज्ञान से होते हैं देवदर्शन।
2-पाप के उदय में दिल छोटा करने की जरूरत नहीं है,ये भी जाने के लिए आया है।
3-दुखी नहीं रहेंगे।ये प्रतिज्ञा लिए बिना,जीवन से दुख दूर नहीं होने वाले हैं।
4-ये कैसा स्वार्थी संसार है कि आज व्यक्ति अपनेजीवन के पीछे अपने पिता तक का दाहसंस्कार नहीं कर रहा है।
5-समझदार टोकने का इंतजार नहीं करते बल्कि टोकने का काम ही नहीं करते हैं।
6-मिथ्यात्व के कारण जीव रोग से नहीं,रोग की कल्पना से अनंत दुख सह रहा है ।
7-खींचतान,हर जगह कष्ट ही लेकर आती है।
8-स्वार्थियों के साथ मत रहो,परमार्थियों के साथ रहो।
9-अविवेकी के हाथ का भोजन,अभक्ष्य है।
10-जिनकी असाता वेदनीय आई है,उनकी ही विदाई है।
         

1-नियम की रक्षा में,नियम से सबकी रक्षा है।
2-वचन बिगाड़ने वाले जीव,कभी प्रामाणिक नहीं होते हैं।
3-मर्यादा तोड़ने वाले जीव,कभी महापुरुष नहीं हो सकते हैं।
4-संकट रोने के लिए नहीं आते और अधिक बलवान होने के लिए आते हैं।
5-रोना रोने वाले,कभी सुखी नहीं रह पाते हैं।
6-खोटे आचरण वाले,कभी आदर्श प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं।
7-रोग से बचने का उपाय,रोगियों से वचना है।
8-किसी व्यक्ति का दुराग्रह,अन्य व्यक्तियों के व्यक्तित्व से परिचित नहीं होने देता है।
9-सबसे सीखिये,क्योंकि हर कोई कुछ न कुछ सिखा ही रहा है।
10-कुशंकाएँ,व्यक्ति की शांति छीन लेती हैं।


1-कषाय प्रतिशोध से नहीं,स्वभाव की शोध से मिटती है।
2-चलायमान पर्यायों को छोड़िये और अचल स्वभाव से नाता जोड़िए।
3-ये चीखने का नहीं,सीखने का मार्ग है।
4-अंतर में प्रभुता और बाहर में लघुता,ये धर्मात्मा की पहचान है। 
5-सबको जानने का नहीं,अपनेको अच्छे से जानने का नाम है सम्य.ज्ञान।
6-लड़ने वाले,नरकों में सड़ते हैं।
7-जिसकी सोच खराब है,उसका कुछ भी अच्छा नहीं होता है।
8-बहस,सहज लोग नहीं करते हैं।
9-उदय के खेल को दर्शक बनकर देखो खेलो नहीं,बहुत आनंद आयेगा।
10-बड़ों की अवज्ञा अर्थात संकटों को आमंत्रण देना है।
         

1-तेज होना हो तो कषाय में नहीं,ज्ञान श्रद्धान में तेज होईये।
2-किसी को नीचे दिखाने का भाव अर्थात स्वयं का नीचे गिरना।
3-जो विश्वास कभी किसी पर्याय में अहं नहीं करने देता,उसी विश्वास का नाम सम्यकदर्शन हैं।
4-ज्ञानी बाहर के दृश्य नहीं,अंदर का अदृश्य आत्मा देखते रहते हैं।
5-करने में मरने जैसा कष्ट न लगे तो समझना,अभी मुमुक्षुता नहीं आई है।
6-धन में मन लगाने वाले,अशांति को स्वयं आमंत्रण देते हैं।
7-बड़े बनने के लिए,सबसे पहले बड़ी सोच चाहिए पड़ती है।
8-जो अपने से दूर है वो दुख भोगने को मजबूर है।
9-छोटी सी गलती भी,अनंतकाल तक फलती है।
10-साधर्मी प्राण न लगें तो समझना अभी जीवन में धर्म आया ही नहीं है।
         


1-सिरभार उतारना है तो अपने अनंत गुणों के परिवार के साथ रहिये।
2-समझदार व्यक्ति,धिक्कारने योग्य कोई भी कार्य नहीं करते हैं।
3-दुनियाँ में प्रशंसा अच्छे कार्यों की ही होती है,बुरे कार्यों की नहीं।
4-पछतावा,असावधानी का फल है
5-अच्छे लोगों की कद्र न करना,बुरे लोगों की खास पहचान है।
6-समय पर किसी की मदद करो तो समय पर कोई आपकी मदद करेगा।
7-जानबूझकर कर्तव्यों से बचने वाले इंसान नहीं,हैवान हैं।
8-रोग उनको लगता है,जो रोग को हल्के में लेते हैं।
9-वो व्यक्ति मूर्ख कहलाता है,जो दूसरों की गलती से शिक्षा नहीं लेता है।
10-भद्रव्यक्ति ही,मित्र बनाने लायक होता है।
          

1-सच्चा सुख तुक्के से नहीं,सच्ची समझ से मिलता है।
2-पुण्य की विभूति मिलना अलग बात है और उसमें सुख न दिखना अलग बात है।
3-गंदे लोग अच्छाईयों पर कभी ध्यान ही नहीं देते हैं,वे तो गंदगी ही इकट्ठी करते हैं।
4-सुविधा का दुरुपयोग,नासमझ लोग ही करते हैं।
5-पाप के उदय से नहीं,पाप परिणाम से जीव को कष्ट होता है।
6-छल और बल का प्रयोग वे करते हैं,जिन्हें अपने पुण्य पर भरोसा नहीं होता है।
7-गहरी रुचि वाले ही,प्रभावना में निमित्त बन पाते हैं।
8-ये छीनने का नहीं,बाटने वालों का धर्म है।
9-धर्म परिणाम में होता है,देह की क्रिया में नहीं।
10-जो पर की ओर झाँकता है,वो तो गरीब है।
         


1-कठोरव्यक्ति को एक ठोर भी,शांति और शीतलता नहीं मिलती है।
2-भगवान के साथ वे रह पाते हैं,जो अपने साथ रहना जानते हैं।
3-शूरवीर,क्रूर नहीं होता है।
4-छली व्यक्ति,स्वयं अपनी ही बलि लेता रहता है।
5-जहाँ धीरता है,समझों वहाँ ही वीरता है। 
6-धोका देना अर्थात कर्मो को पास आने का मौका देना।
7-हार-जीत के खेल में लगे व्यक्ति,जीवन हार ही रहे हैं।
8-सही समझ,समस्या को जन्म ही नहीं लेनी देती है।
9-यदि आप सरल नहीं हैं तो आपके लिए सबकुछ विरल हो जायेगा।
10-सफलता,अनुशासित जीवन जीने का फल है।
         

1-दुखी न होना हो तो वेमतलब की बातें सोचना बंद कर दो।
2-कल की चिंता अर्थात व्यर्थ में वर्तमान को बर्बाद करना।
3-जो पास में है उसे,जो पास में नहीं है उसके लिए खोना समझदारी नहीं है।
4-सलाह का स्वागत करिये,ये किसी के अनुभव में से आई है।
5-विकार जाने के लिए ही आता है अतः निश्चिन्त रहिये।
6-जो नियम नहीं तोड़ते,वे नियम से अपने को मोक्षमार्ग से जोड़ते हैं।
7-चिल्लाना,आपके असभ्य होना का प्रतीक है।
8-मोक्षमार्ग अर्थात एक मात्र सुकून और शांति का मार्ग।
9-क्रोध सबसे पहले,अपनी ही आँख फोड़ता है।
10-अपने को नहीं जानने वाले को,मान ही मान होता है।
       

1-जो भोग नहीं छोड़ते,भोग उनसे सम्यक्त्व से लेकर मुक्ति तक सब छुड़ा लेता है।
2-विचारों की हीनता,व्यक्ति को हीन बना देती है।
3-जिनवाणी सुनकर प्रसन्न न होना अर्थात जिनवाणी सुन ही नहीं रहे हो।
4-जरूरत से ज्यादा कमाने की भावना भी तो परिग्रह है।
5-नकल भी मारनी है तो भोगियों की नहीं,योगईयों की मारो।
6-तुलना नहीं,जगत का प्रत्येक जीव अतुलनीय है।
7-बड़े आदमी होने का अर्थ मात्र धन से नहीं,मन से भी बड़े आदमी होना है।
8-जो कभी आपका साथ न छोड़े वो आत्मा है और जो कभी आपका साथ न दे वो संयोग है।
9-मोक्षमार्ग में आनंद पूर्वक का वैराग्य है,श्मशानी वैराग्य नहीं।
10-बैर करने वाले एक दो नहीं,अपने अनंतभव बर्बाद करते हैं।
       

1-पुरुषार्थ मतलब तत्वनिर्णय बाकि सब तो होता है किया नहीं जाता है।
2-हमें ज्ञाता होना नहीं है हम ज्ञाता हैं,ये निर्णय करना है।
3-पर्याय लाना हटाना पुरुषार्थ नहीं है,मिथ्यात्व है।
4-अच्छाई की अनुमोदन करना,अच्छाई को बढ़ाना है।
5-निश्चिन्त न रहना,सचमुच मूर्खता है।
6-रोग के भय से,अपने निजघर न निकलना ही तो आराधना है।
7-कृपणता,दरिद्रता की पूर्व पर्याय है।
8-गरीबों की मदद न करना,आपकी गरीबी को दर्शाता है।
9-भगवान के पास रहना हो तो भगवान आत्मा के पास रहना सीख लो।
10-जो नहीं सीखते,वो उस अज्ञान को लेकर जीवन भर खीजते हैं।
        

1-हर कार्य संघर्ष से शुरू होता है और सफलता पर पूर्ण होता है।
2-समझदारी दुनियाँ को नहीं,अपने को समझने का नाम है।
3-छोटी मोटी बातों से प्रभावित न होने वाले ही ,जीवन मे कुछ बड़े काम कर पाते हैं।
4-पहले से ही अपने को कुछ समझकर बैठ जाना ,बहुत बड़ी नासमझी है।
5-उल्टी-उल्टी सोचने वाले,कभी सीधे चलना तो दूर,सोच भी नहीं पाते हैं।
6-क्षमा,बिना लड़ाई के युद्ध विराम करा देती है।
7-किसी को दुख न देना ही तो उसकी सेवा करना है।
8-जिनको संसार के दुखों का स्वरूप नहीं पता, वे पाप करने से तनिक भी नहीं डरते हैं।
9-संस्कार विहीन बालक ,भविष्य के लिए महासंकट जानना।
10-बड़ों की उपेक्षा,छोटे दिल वाले ही करतें हैं।


1-सामर्थ्य से अधिक करने या दिखाने वाले,मुसीबत में पड़ते ही हैं।*
2-जो अपने कार्य में मस्त नहीं रहते,वे ही दूसरों से त्रस्त होते हैं।*
3-परिणामो को सहज स्वीकारना ही,परिणाम का सुधरना है।*
4-डर जीत तो दू,खेल प्रारंभ ही नहीं होने देता है।*
5-शिकायत  कमजोर लोग करते हैं,बलवान तो संघर्ष करते हैं।*
6-भोग,निर्विचारी व्यकि को सुख रूप लगता है।*
7-रोग और भोग,कभी भी सुख के कारण हो ही नहीं सकते हैं।*
8-लापरवाही,किये कराये पर पानी फेर देती है।*
9-सीखने की उम्र नही होती,सीखने वाला तो  सदा जवान रहता हैं।*
10-बड़ो की अवज्ञा ,कभी सर्वज्ञ नहीं बनने देती है*


1-दुराग्रह का अंत,हमेशा बुरा ही होता है।
2-जहाँ द्वंद नहीं है,वहाँ ही सच्चे सुख का प्रबंध है।
3-कल्पना करके,आजतक कोई भी सुखी नहीं हुआ है।
4-भविष्य की चिंता।ये तो वर्तमान में न जीने वालों का लक्षण है।
5-सुख बिकता नहीं,ज्ञानियों को अपनी  आत्मा में दिखता है।
6-जागने वाले ही,जगाने का कार्य कर सकते हैं।
7-भव की वृद्धि अर्थात हानि ही हानि।
8-समझदार उसे कहते हैं,जो भवरूपी मझधार में नही डूबता।
9-मिथ्यात्व से बड़ा अमंगल,दूसरा कोई नहीं है।
10-शरीर में रोग है या शरीर खुद एक रोग है।विचारना?
    

1-सच्ची बाते ही अच्छी लगने लगे तो जीव पार हो जाए।
2-पुण्य के उदय में भीड़ लगती है और पाप के उदय में भीड़ छटती है।
3-सत्य सुकून देता है और झूठ सुकून हर लेता है।
4-अनुशासन बिगाड़कर चलना बडप्पन नही,अभिमान है।
5-जिन्हें मान धूल दिखता है,वे सन्मान के पात्र हैं।
6-भगवंतों के प्रति के उपकार को याद करने का नाम है भक्ति।
7-जिन्हें विषयों में काटने जैसी वेदना नहीं होती,वे कर्म कैसे काटेंगे?
8-ये बाह्य वैभव  गौरव नहीं,कर्म के उदय का बोझ है।
9-गलती होना नहीं,उसे दोहराना बड़ा पाप है।
10-पाप को बुरा तो सब कहते पर मानते नहीं है।



1-जिनवाणी अर्थात मुक्ति तक हाथ पकड़कर लें जाने वाली मां।*
2-जिनवाणी को आज कागज पर नहीं,अपने ह्रदय में लिपिबद्ध कीजिए।*
3-जो जिनवाणी सुनते हैं,वे मनमानी नहीं करते है।*
4-पंचमगति को पाने के लिए श्रुतपंचमी पर्व को हृदय से मनाइये।*
5-जिनवाणी अर्थात सारे जग की हितैषी माता।*
6-आज जिनवाणी नही है,हमारी किस्मत लिखी गई थी।*
7-जो जिनवाणी नहीं सुनते,वें पंच परावर्तन में रुलते हैं।*
8-जिनवाणी अर्थात पंचमकाल की भगवान।*
9-जिनवाणी अर्थात पंचमकाल में प्राप्त होने वाली दिव्यध्वनि।*
10-जिनवाणी को मात्र अलमारी में ही नही,अपने जीवन में भी तो सजाइये।*
11-जिनवाणी की पूजा अर्थात उसके अनुसार जीवन जीना।*
12-जिनवाणी अर्थात वस्तुस्वरूप को दर्शाने वाली माता।*
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1-छोटी छोटी बातों के issue बनाओगे तो परेशान हो जाओगे।*
2-किसी से अपेक्षा रखकर अपनी शांति भंग मत करो।*
3-पराधीन व्यक्ति,स्वयं से सुखी रह ही नहीं पाता है।*
4-जो संयोग से आता है वो सुख नहीं है,सुख नाम का दुख है।*
5-लड़ाईयां दिल से जीतिए,हथियारों से नहीं।*
6-सीखने की उम्र नहीं होती।अतः हर समय सीखते रहिये।*
7-दोष खोजोगे तो साधर्मी से वात्सल्य नहीं,द्वेष पनपेगा।*
8-जहाँ विश्वास नहीं होता,वहां हर प्रयास फैल होता है।*
9-साधर्मी को दुश्मन समझोगे तो फिर मित्र किसको समझोगे।*
10-अपने को सबसे समझदार समझोगे तो कभी समझदार नहीं बन पाओगे?*

         
1-भगवान को सब भगवान ही दिखाई देतें हैं।
2-अपयश की निर्जरा न हो,तो व्यक्ति भगवान कैसे बनेगा।
3-टेंशन न ली जाये तो चली जाती है।
4-जब आप परेशान नहीं होते तो किसी पर परेशान करने का आरोप भी नहीं आता है।
5-सफाई वे देतें हैं,जो साफ नहीं रहते हैं।
6-जबाब नहीं देना,कभी-कभी सबसे अच्छा जबाब होता है।
7-अच्छे लोग,सदा अच्छाइयाँ ही फैलाते हैं।
8-सफलता घबराने से नहीं,विश्वास पूर्वक आंगे बढ़ जाने से मिलती है।
9-अच्छे लोग,बुरें लोगों को कभी अच्छे नहीं लगते हैं।
10-जल्दी से कुछ भी करने से,पछताना पड़ता है।
         

1-सही समझ बिना न तो,सही ग्रहण होता है और न सही त्याग।
2-राग आग से भी ज्यादा तेज है।क्योंकि सदा जलाता रहता है।
3-जिन्हें आप अपना मान रहे हैं वे आपके नहीं,आपके पुण्य के साथी हैं।
4-किसी की बात का बुरा मानने से अच्छा है,उसकी बात मान लो।
5-कर्तृत्वबुद्धि जीवन की हार है,ये किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं।
6-बड़ो का आशीर्वाद अर्थात मार्गदर्शन,छोटों को भटकने नहीं देता।
7-भावुकतापूर्ण कार्य,भविष्य बर्बाद कर देते हैं।
8-होनी ही होती है।तुम अपने परिणाम खराब करके अपनी होनी मत बिगाड़ो।
9-कभी कभी ज्ञानियों की सरलता को अज्ञानी मूर्खता समझ बैठते हैं।
10-थके बिना आराम नहीं और चले बिना गंतव्य नहीं मिलता है।
        


1-बड़ो की शिक्षा,सदा अपने हित का हिस्सा होती है।
2-बर्बादी की शुरआत,झूठ से होती है।
3-जो लोग पाप से नहीं डरते हैं,वे लोग पाप ही पाप करते हैं।
4-सत्य कड़वा जरूर होता है पर होता हमेशा अच्छा ही है।
5-खुशियां चुराई नहीं,कमाई जाती हैं।
6-जो लोग अपने पद की गरिमा भूल जाते हैं,वे लोग मिट्टी में मिल जाते हैं।
7-over confidence,हमेशा व्यक्ति को नुकसान कराता है।
8-चोरी का माल भले अच्छा हो पर है तो चोरी का ही न?
9-जब अभिप्राय खोटा हो तो कार्य प्रारंभ होने के पहले ही बंद हो जाता है।
10-भावुकता,कभी-कभी व्यक्ति को बर्बाद कर देती है।
          

                          suvichar in hindi for life      सुविचार इन हिंदी


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