सुविचार अनमोल वचन
Suvichar Anmol Vachan Good Thoughts quotes
1-शंका आशंका वाले जीवन में,आनंद नहीं होता है।
2-ज्ञानी आनंद खोजते हैं,उनका हर प्रयास इसी के लिए होता है
3-गंदा व्यक्ति अच्छे लोगों को भी बुरा ही देखता है तभी तो वो गंदा है।
4-सुख के लिए सामग्री नही,सच्ची समझ चाहिए।
5-फल तो आता है,कोई कह लेता है और कोई सह लेता है।
6-जो विनय करना नहीं,मात्र कराना चाहते हैं वे तो अहंकारी हैं
7-बड़े ही बड़े बनने का रास्ता बताते हैं।
8-आप तो उठिए बाकि सब अपने आप नीचे हो जायेंगे।
9-संस्कार,विकारों को नाशने के लिए अत्यंत अनिवार्य है।
10-दिए बिना,किसी को सम्मान कैसे मिल सकता है?
1-अनंत बार न मरना हो तो एक बार जीना सीख लो।
2-अपेक्षा रखना अर्थात खुद को दुखी करना है।
3-अपना अपने से बाहर कुछ भी नही है,बाहर तो सब कुछ कल्पना है।
4-कल्पनाओं की उड़ान से अच्छा तो यथार्थ की धरातल पर रहना है
5-विकथा दूर करो,तब कुछ धर्म कथा हृदय में उतर पायेगी।
6-राग में सुख खोजना अर्थात स्वयं को मूर्ख बनाना।
7-मिथ्यादृष्टि,सदा ख्याली पुलाव का सेवन करता है।
8-परिणाम बिगाड़ने से कुछ भी सम्हले वाला नहीं है।
9-देह अच्छी लगती रहेगी तो अशरीरी दशा कभी नहीं आएगी।
10-सम्मान चाहिए तो खोटे कार्यों में आग लगाइये।
1-आसक्ति किसी भी चीज की हो,जीव की शक्ति घटा देती है।
2-भक्ति का नाम चापलूसी नहीं,समर्पण है।
3-अपयश उसी का होता है जो त्रिकाली पर यस नहीं करता है।
4-अच्छा वहीं होता है,जो सच्चा होता है।
5-छिपाने वाले खुद एक दिन छिप-छिप कर जीते हैं।
6-अनुभव जीव को हर जगह परिपक्व बनाता है।
7-हिसाब लगाओ कि जीवन खो रहे हैं या मुक्ति के लिए तैयार हो रहे हैं?
8-समय,सोने या रोने में खराब न करें।
9-जो पाना है,उसे जानना अनिवार्य है।
10-पर की चाहत,अक्सर आफत ही लाती है।
1-हृदय से किये जाने वाले कार्य,कभी असफल नहीं होते हैं।
2-दिल दुखाने का भाव ही तो भाव हिंसा है।
3-बड़ो की अनदेखी,सदा महँगी ही पड़ती है।
4-जो सीखते हैं,वे ही किसी को कुछ सिखा पाते हैं।
5-छलकपट,ये तो ढोर बनने की पूर्व तैयारी है।
6-कल्पनाओं का नाम सुख रख लेना,ये तो मोहि की पहचान ही है।
7-बड़ो की डांट,भविष्य में मुक्ति का ठाट बाट दिलाती है।
8-धैर्य बुरा नहीं होता,बहुत से बुरें कार्य होने से बचा लेता है।
9-कषाय में जीना जीना नहीं,मरना है।
10-पराधीनता जेल है और स्वतंत्रता खेल है।
1-जिंदगी घुट कर नहीं,मोह को घोट कर जियो।
2-ईच्छा का साथ दोगे तो वो तुम्हें दुखों से जोड़ेगी।
3-जिन्हें मुक्ति चाहिए,उन्हें मोह से बचने की युक्ति आनी ही चाहिए।
4-दूसरों की आंखों में धूल झोंकने वालों की आंखे,धूल में मिल जाती है।
5-दूसरों से सुख की आशा,समस्त निराशाओं का मूल है।
6-स्वयं को भूलने वाले ही,संयोगों में फूल रहें हैं।
7-पाप का साथ न दो,पाप को अनाथ कर दो।
8-न्याय दिल से नहीं,दिमाग से दिया जाता है।
9-बुद्धि का सदुपयोग न करने वाले ही,बुद्धिहीन कहलाते हैं।
10-बड़ों की आज्ञा अर्थात अनंतकाल सुख में रहने की प्रतिज्ञा है।
1-अज्ञानी ज्ञेयों को नहीं,ज्ञेय संबंधी अपने अज्ञान को भोगता है।
2-जिनवाणी को सिर पर रखने का अर्थ है जिनवाणी की आज्ञा में जीवन जीना।
3-जिनकी सोच ऊंची होती है वे ऐसा कोई कार्य नहीं करते कि जिससे कोई विपरीत सोचने मजबूर हो।
4-जीवन में प्रसिद्धि नहीं,आत्मा की शुद्धि अनिवार्य है।
5-सफाई से रहने वालों को,सफाई नही देनी पड़ती है।
6-कल पर टालने वाले,सदा विपरीत ही फल पाते हैं।
7-आनंद की प्रतिज्ञा है कि जो उसे नहीं,आत्मा को खोजेगा वह उसके पास आएगा।
8-सज्जन जीव,व्यर्थ विवादों में समय नहीं खोते हैं।
9-विशुद्धि का बढ़ना ही,अशुद्धि का घटना है।
10-रोग छिपाने वाले,खुद को मिटाने की तैयारी कर रहे हैं।
1-निमित्त को दोष देने के पहले ये जान तो लो कि निमित्त अकर्ता होते हैं।
2-कषाय दूर करो,कषाय के पीछे साधर्मी को नहीं।
3-ह्रदय के खुले लोग ही खुलकर जीवन जी पाते हैं।
4-जहां अज्ञान होगा,वहाँ दुख होगा ही होगा।
5-मान,धिक्कार के अलावा कुछ भी नहीं दिलाता है।
6-कषाय की मित्रता,तुम्हे मुक्ति का शत्रु बना देगी।
7-पुरानी बातें याद कर कर के,हर नई पर्याय बर्बाद मत करो।
8-जीव दूसरे की नही,अपनी कमी निकाल कर महान बनता है।
9-छोटी सोच के लोग,छोटी छोटी बातों पर लड़ते हैं।
10-गरिष्ठ भोजन अर्थात अनिष्ट भोजन।
1-जैसे परिणाम वैसा परिणमन,ये तो नियम ही हैं।
2-आपके अशुभ भाव ही,आपका भविष्य बिगाड़ते हैं।
3-ज्ञानी कषाय त्यागने के लिए जीवन जीते हैं और अज्ञानी कषाय करने के लिए जीवन जीईये हैं।
4-सच्ची साधना वह है जो कभी साधनों की ओर देखे भी न।
5-ज्ञानी का नाप भीड़ से नहीं,एकांत में एक की साधना से किया जाता है।
6-सम्पन्न होने का अर्थ है कि किसी भी परिस्थिति में विपन्नता का वेदन न करना।
7-जिन्हें पुण्य का उदय अच्छा लगता है वो कर्म को कलंक नहीं,सन्मान मानते हैं
8-बाहर की व्यवस्था कर्म बनाता है अतः व्यर्थ व्यवस्थापक न बने।
9-जोजिनवाणी सुनकर भी खुश न हो तो समझना वो जिनवाणी सुन ही नही रहा है।
10-यदि आप निर्विकल्प नहीं रह पाते है मतलब आप पर्यायों को क्रमबद्ध नहीं स्वीकारते हैं।
1-सुख के लिए पर की तरफ झाँकना ही दुख का मूल है।
2-चिंता,धीरे धीरे जलने वाली चिता है।
3-जो लोग गलत काम करके आते हैं,वे लोग ही घबराते हैं।
4-जिन्हें अपनी खबर नहीं होती है,कर्म उनकी खबर लेता है।
5-अनुकूलता,सुविधा है सुख नहीं।
6-सज्जन भोकना तो छोड़ो,टोकने तक का मौका नहीं देते।
7-दुर्बुद्धि,हरजगह अशुद्धि ही फैलाता है।
8-गलत निर्णय,जीवन भर सालते हैं।
9- स्वयं में अहम किये बिना,वहम कभी नही जाने वाला।
10-जहाँ ज्ञान नहीं होता,वहां अयोग्य ही योग्य लगता है।
1-आकुलता करने से भी कुछ नहीं बदलने वाला,सिर्फ अशांति बढ़ने वाली है।।
2-प्रमादी जीव,काम नहीं बहाने खोजता है।
3-खुशी न बाजार में मिलती है और न हज़ार में।
4-खुशियाँ बाँटिये,आपको और ज्यादा खुशियाँ मिलेंगी।
5-शंका,जीवन रूपी लंका को जला कर रख देती है।
6-अपनी अस्वीकृति का नाम ही तो विकृति है।
7-जैसे किसी को रोग में सुख नहीं दिखता,वैसे ही ज्ञानी को भोग में सुख नहीं दिखता।
8-लड़ाई झगड़ा वे करते हैं,जो या तो नरक से आये हैं या जाने वाले हैं
9-जो पर में जीते हैं-वें सुख से सदा रीते हैं
10-जो आकुलता बढ़ाये वो वैभव नहीं,सजा है।
1-नहीं चाहते दुख तो शीघ्र हो जाओ अन्तरमुख।
2-गुरु का अनुशरण ही,गुरु का सच्चा शरण है।
3-काम को न बोले बिना,कामना नहीं मिटने वाली।
4-जो विषयों में नहीं अटकते,वे चारगति में भी नहीं भटकते हैं।
5-सफलता,विफलताओं से नहीं डरने वालों को मिलती है।
6-गलती न सुधारी जाए तो वो अनंतगुणी फलती है।
7-फल का पता हो तो कार्य करने का उत्साह बढ़ जाता है।
8-ताने मारने वाले लोगों से,अक्सर कोई बात नहीं करना चाहता।
9-पीछे की तरफ नहीं,आंगे की तरफ देखने वाले आंगे बढ़ते हैं।
10-स्वभाव का निर्णय,अनंत निर्भारता देता है।
1-ज्ञान हो तो पाप में ग्लानि लगती है व मोह हो तो पाप में उत्साह आता है।
2-ज्ञानी भोग को रोग जानता है और अज्ञानी रोग को भोग।
3-भोगी अर्थात विषयों का भिखारी।
4-भोग भोगे नहीं,भुगते जाते हैं।
5-उसूल,मोहि को त्रिशूल जैसे लगते हैं।
6-पाप के मामले में शिथिल हुए तो समझ लो दुर्दशा पक्की है।
7-टोकने वाले नहीं होंगे तो भोकने वालों से बचना मुश्किल है।
8-भगवान बनने के लिए ढेर सारे शिष्य नहीं,एक योग्य गुरु चाहिए।
9-डगर उनको नहीं मिलती,जो अगर मगर करते हैं।
10-जो वीर हैं वे छिपाते नहीं,गुरु को सब बताते हैं।
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1-कृपणता से जीव धनी नाही,भविष्य में निर्धन होता है।
2-जहाँ लक्ष्य ही नहीं होता,वहाँ कहाँ पक्ष और कहाँ दक्ष?
3-भाव सुधारे बिना,भव का अभाव नहीं होने वाला है।
4-दूसरे से कनेक्ट रहने के चक्कर मे,अपने से जीव कनेक्ट हो ही नहीं पा रहा है।
5-सादगी से रहिये,अधिक नहीं कमाना पड़ेगा।
6-पापों की रक्षा करने वालों का,नरक में आरक्षण पक्का है।
7-कैसा मिथ्यात्व है?पापों में सुखबुद्धि करा रखी है।
8-मानी को दी गई सलाह,टोकरी में ही जाती है।
9-अति लाढ,बच्चों का जीवन बर्बाद कर देता है।
10-कष्ट बाँटिये,नहीं तो वो आपकी चटनी बांट देगा।
1-आप अपने से जितने दूर रहेंगे,उतने ही मजबूर रहेंगे।
2-जीवन मजबूरी से नहीं,मजबूती से जीईये।
3-किसी की मजबूरी का नही,मजबूती का फायदा उठाइये।
4-इरादे मजबूत हों तो कुछ भी कठिन नहीं होता है।
5-हल्का जीवन वे जीते हैं,जिनकी सोच ऊँची नहीं होती।
6-व्यवस्था व्यवस्थित ,व्यवस्थित ज्ञान में ही दिखती है।
7-अच्छी बात,अच्छे लोगों की पहचान होती है।
8-गंदी बात,गंदे लोगों को ही अच्छी लगती है।
9-दूसरे को गिराकर ऊपर उठना ऊपर उठने वालों का नहीं,नीचे गिरने वालों का लक्षण हैं।
10-शिक्षा,किसी को भिक्षा नहीं माँगने देती है।
1-शत्रुता का भाव मिटना ही,सबके प्रति सच्ची मित्रता है।
2-आप खुश रहिये,आप से सब सहज ही खुश रहेंगे।
3-गुरु अकर्ता हैं पर वे ही सच्चे प्रकर्ता हैं।
4-कट कॉपी पेस्ट ही करते रहोगे या थोड़ा आत्मा का भी टेस्ट करोगे।
5-उपदेश वो दो जो जीव को उसे उसके स्वदेश भेजने में निमित हो।
6-खाली रहोगे तो खाली ही रह जाओगे।
7-मिथ्यात्व बला है,जो बच जाए उसका ही भला है।
8-अच्छाइयाँ,जैसे मिले वैसे लीजिए।
9-जो किसी की नहीं सुनते,वे किसी की सुनने लायक बचते भी नहीं हैं।
10-ये जीवन ऐसे जियो की आपकी जीवनी याद की जाए।
1-दर्द की फीलिंग ही तो दुख है वो चाहे मानसिक हो या शारिरिक।
2-जो सर्वज्ञ की मानते हैं,वे धर्म के मर्मज्ञ हो जाते हैं।
3-जो संसार से विरक्त होता है वो मोक्षमार्ग में और अधिक से सशक्त होता है।
4-शांति का जीवन ही,समृद्ध जीवन है।
5-साधर्मी का उत्साह गिराने वाले,साधर्मी तो नहीं हो सकते हैं।
6-कुछ घटना घटे,इसके पहले ही कषाय घटा लो।
7-भोगों का मूल,मिथ्याकल्पना।
8-उल्टे अनुमान,अज्ञानी को सबसे ज्यादा परेशान करते हैं।
9-पुरानी बातें याद करकर के नए नए कर्म बांधना,ये तो मूर्खता है।
10-जहाँ तीव्र कषाय होती है वहाँ विवेक खत्म हो जाता है।
1-सब साथ हों तब नहीं,हम अपने साथ हों तब भगवान बना जाता है।
2-पहले से ही उल्टा सोचोगे तो उल्टे से ही शुरुआत होगी।
3-परिणामों का फल ही,परिणाम बनकर फल देता है।
4-प्रथम भरोसा ही,किसी कार्य की मंगल शुरुआत है।
5-निंदा से घबराइये मत,वो तो आपको निर्मल करने आती है।
6-हिसाब धन का नहीं,मन में उत्पन्न होने वाले विकारों का करों।
7-जो सावधान नहीं होता,वो बहुत कुछ खोता है।
8-घबराहट,आपकी हार की आहट है।
9-संक्लेषता से बचिये,ये आपके दोनों भव कर देगी।
10-सहज हुए बिना,कुछ भी सहज नहीं लग सकता है।
1-पुरानी भूल भूलने लायक है नहीं तो वह शूल बनकर चुभती रहती है।
2-ये जीवन क्षणभंगुर है अतः कोई स्थाई ठिकाना खोज लो।
3-राग घातक है ये आपको नुकसान के अलावा कुछ नहीं देगा।
4-कृपण धन की सुरक्षा की चिंता में नरक आरक्षित कर लेता है।
5-जो राजाज्ञा ही नही मानता वो जिनाज्ञा क्या मानेगा?
6-मान्यता बदलिए बाकि सब तो बदला बदलाया ही है।
7-नकारात्मक सोच,स्वयं की ऊर्जा का नाश कर देती है।
8-प्रेम से काम बनता है और द्वेष से काम बिगड़ता है।
9-चिढ़ने वाले,स्वयं के नुकसान के अलावा कुछ भी नहीं करते हैं।
10-मिथ्यानुमान,बहुत कर्म बंधन कराते हैं अतः इनसे बचिये।
1-अभिप्राय गंदा हो तो जीवन अच्छा हो ही नहीं सकता है।
2-शल्य हल नहीं,एक बहुत बड़ी समस्या है।
3-राजनीति करने वालों के पास,कोई न्याय नीति नहीं होती है।
4-ईर्ष्या करने वाले लोग,बहुत अधिक पाप बांधते हैं।
5-दुविधा,एक बहुत बड़ी असुविधा है।
6-जागरूक न होना,एक प्रकार से सोना ही है।
7-आत्मा को परमात्मा और परमात्मा को आत्मा जानों।
8-लड़ाई भिड़ाई नहीं,ज्ञानी तो सिर्फ शांति चाहते हैं।
9-निराकुलता जहाँ से जैसे मिले,लेने की चीज है।
10-अज्ञान,भटकाने के अलावा कुछ भी नहीं करता है।
1-निर्दोष प्रभावना के लिए निर्दोष जीवन जीना अनिवार्य है।
2-लोभ अर्थात खुद के द्वारा खुद को तड़पाना।
3-लोभी लेना जानता है,किसी को कुछ देना नहीं।
4-समर्पण के लिए,वहाँ सुखबुद्धि होना अनिवार्य है।
5-ये किसी को दवाने का नहीं,उठाने का मार्ग है।
6-ये रोकने का मार्ग नहीं,आंगे बढ़ने का मार्ग है।
7-जो बड़ों की नहीं मानते,वे कभी बड़े नहीं बन पाते हैं।
8-प्रयास न करना,खेलने के पहले ही हार मानना है।
9-कषाय छोड़ने की चीज है,जोड़ने की नहीं।
10-साफ रहिये,जीवन मे शुकून रहेगा।
1-लोभ का न होना ही,सबसे बड़ा लाभ है।
2-पर में सुख मानने वालों ने सुख का नहीं,दुख का ठेका ले लिया है।
3-काम और ईर्ष्या की आग में जलने वाले,एक समय के लिए भी सुखी नहीं होते हैं।
4-कमजोर लोगों की कमजोरी का नाम है व्यसन।
5-पर में सुख दिखते साथ ही,सजा मिलना प्रारंभ हो जाती है।
6-जिनके पास कोई काम नहीं होता,उन्हें काम बहुत सताता है।
7-समझ सही हुए बिना,समाधान असंभव है।
8-आत्महित करिये,किसी को हिट(hit) नहीं।
9-अकर्तृत्व से बड़ी,कोई समृद्धिता नहीं होती है।
10-ये डरने का नहीं,सावधान रहने का मार्ग है।
1-कोई बुरा नहीं बुरा तो हमारा दृष्टिकोण है।
2-गंदगी अपनी हो या पराई,दूर करने योग्य है।
3-संघठन विश्वाश से चलते हैं और अविश्वास से टूटते हैं।
4-गंदी भाषा,गंदगी ही फैलाती है।
5-जबरदस्ती,कभी कहीं किसी को सुखरूप नहीं होती है।
6-पर को अपने अनुसार परिणमाने का भाव ही समस्त दुखों का मूल है।
7-उदय के खेल को उदय का न देखकर अपना देखना,मिथ्यात्व है।
8-जीव भगवान है बाकि सब बातें उपचार है।
9-सबको अपनाओं क्योंकि सब जीव भगवान हैं।
10-ये जीवन बैर नहीं,वैराग्य बढ़ाने के लिए है।
1-जो जैसा करता है वो वैसा भरता है अतः अपन मस्त और स्वस्थ रहो।
2-राजनीति से दूर रहिये,ये अनीति का घर है।
3-अज्ञान परेशानियों के अलावा कुछ भी नहीं देता है।
4-लापरवाही,पछतावा ही लेकर आती हैं।
5-परिणामों का फल ही तो भविष्य कहलाता है।
6-अपरिणामी से दोस्ती ही परिणामों का निर्मल होना कहलाता है।
7-लोभी व्यक्ति के अभिप्राय में धन अर्थात भोगों में सुखबुद्धि बनी रहती है।
8-तमाशा देखिये,तमाशा बनिये नहीं।
9-अकड़,अनुशासनहीनता को दर्शाती है।
10-मनवाने का नहीं,मानने का नाम पुरुषार्थ है।
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