अंजीर के औषधीय गुण anjir khane ke fayde aur nuksan
हिंदी-अंजीर; संस्क्रत- काको दुम्बरिका; गुजरती- अंजीर; पंजाबी- फरवाडा |
प्राप्तिस्थान एंव पहचान- अंजीर के झाड़ अरब स्थान ईरान, टर्की,अफ्रीका तथा भारत वर्ष के बगीचों में होते है यह दो प्रकार का होता है एक बोया हुआ, जिसके फल और पत्ते बड़े होते है दूसरा जंगली, जिसके फल और पत्ते इससे छोटे होते है अंजीर का व्रत छ: फिट तक ऊँचा होता है तोड़ने या चीरा देने से इसके हर एक अंग से दूध निकलता है इसके पत्ते उपर की तरफ से अधिक खुरदरे होते है इसके फल का आकार प्राय गुलर के फल के आकार के समान होता है कच्चे फल सा रंग हर और,पके हुए का रंग पिला या बैंगनी और अन्दर से भुत लाल होता है यह फल बड़ा मीठा और स्वादिष्ट होता है |
गुण :
आयुर्वेद- अंजीर अत्यंत शीतल, तत्काल रक्तपित नाशक, सिर व खून की बीमारी में तथा कोढ व नकसीर में लाभकारी होता है |
यूनानी- यह पहली दर्जा में गर्म और दूसरी दर्जा में तर है इसकी जद पोस्टिक तथा धवल रोग ( स्वेत कुष्ठ ) और दाद पर उपयोगी है इसका फल मीठा, ज्वरनाशक, पोस्टिक, रेचक, कामोद्दीपक, विषनाशक, सुजन में लाभदायक, अश्मरी ( पथरी ) को दूर करने वाला और कमजोरी, लकवा, प्यास, यकृत तथा तिल्ली की बीमारी व सिने के दर्द में लाभकारी होता है |
आयुर्वेद- अंजीर अत्यंत शीतल, तत्काल रक्तपित नाशक, सिर व खून की बीमारी में तथा कोढ व नकसीर में लाभकारी होता है |
यूनानी- यह पहली दर्जा में गर्म और दूसरी दर्जा में तर है इसकी जद पोस्टिक तथा धवल रोग ( स्वेत कुष्ठ ) और दाद पर उपयोगी है इसका फल मीठा, ज्वरनाशक, पोस्टिक, रेचक, कामोद्दीपक, विषनाशक, सुजन में लाभदायक, अश्मरी ( पथरी ) को दूर करने वाला और कमजोरी, लकवा, प्यास, यकृत तथा तिल्ली की बीमारी व सिने के दर्द में लाभकारी होता है |
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