गर्गवंशी ब्राह्मण समाज का परिचय, इतिहास,गौत्र एवं कुलदेवियाँ | Gotra wise Kuldevi List of Garg Vanshi Brahmin Samaj

गर्गवंशी ब्राह्मण समाज का परिचय, इतिहास,गौत्र एवं कुलदेवियाँ | Gotra wise Kuldevi List of Garg Vanshi Brahmin Samaj

 

ब्राह्मणोत्पत्ति  दर्पण व जाति भास्कर आदि से प्राप्त अभिलेखों के अनुसार महर्षि गर्ग ऋषि की संतान गर्गवंशी ब्राह्मण कहलाते है,ब्राह्मण वर्ग जो शिक्षण, अध्यापन का कार्य करते थे वे गुरु ब्राह्मण कहलाते है।

         गुरु का अर्थ है अध्यापक, शिक्षक,आचार्य,उपाध्याय । गर्ग ऋषि के वंशज मुख्यत: पढ़ाने का काम करते थे । इनके घरो में पाठशालाए चलती थी । ये वर्ण राजा महाराजाओ के एव जन सामान्य के पथ प्रदर्शक रहे है । इसलिए गर्ग ऋषि के वंशज ब्राह्मण ही गुरु जैसे महान शब्द से अलंकृत है।।        

Gayatri Mata : Garg Brahmin Peeth, Pushkar

इतिहास | History of Garg Vanshi Brahmin Samaj

सृष्टि को रचने वाले भगवान विष्णु जल के ऊपर लक्ष्मी के सहित शेष की शैय्या पर योग निद्रा में मग्न थे । उन पर सोये हुए भगवान की नाभि से बड़ा कमल उत्पन्न हुआ उस कमल के मध्य में से वेद वेदांगों के रचयिता ब्रह्मा उत्पन्न हुए । देवोदिदेव भगवान विष्णु जी ने उनसे बारम्बार जगत की सृष्टि रचने के लिए आग्रह किया ब्रह्मा जी ने सम्पूर्ण जगत को रच कर यज्ञ सिद्धि के लिए पापरहित  ब्राह्मण को उत्पन्न किया साथ ही क्षत्रिय ,वैश्य,शुद्र की रचना की।इस प्रकार सृष्टि कर्ता ब्रह्मा के पुत्र अंगिरा ऋषि हुए और अंगिरा के पुत्र अंगिरस जी हुए जो कि बृहस्पति के नाम से प्रसिद्ध हुए बृहस्पति सब देवताओ के पुरोहित थे अब जो ब्रहस्पति जी से आगे वंश चला वो सब गुरु पुरोहित कहलाये और बृहस्पति जी का दूसरा नाम गुरु होने से इनके वंशजो को गुरु की उपाधि प्राप्त हुई।इसी प्रकार बृहस्पति जी के भरद्वाज जी हुए भरद्वाज जी के मन्यु और मन्यु के तेजस्वी पुत्र गर्ग उत्पन्न हुए। श्री गर्ग मुनि जी विद्या और ज्ञान में श्रेष्ठ होने से गर्गाचार्य नाम से विख्यात हुए।गर्गाचार्य जी द्वारा श्री कृष्ण का नामकरण कर यदुवंशियो के कुल गुरु कहा कर उनके कुल के पुरोहित हुए एवम श्री कृष्ण के शासन में राजगुरु पद से सुशोभित हुए। इस प्रकार गर्गाचार्य जी के वंशज गुरु ,गर्ग व कृष्ण गौड़ ब्राह्मण आदि नामों से विख्यात हुए।

गर्गवंशी ब्राह्मणों का क्षेत्र

‌ गर्गवंशी ब्राह्मण ब्राह्मणोत्पत्ति दर्पण के अनुसार फैज़ाबाद,आजमगढ़,सुल्तानपुर,प्रयाग,काशी की तरफ फैले हुए हुए है, इसके साथ मुख्यतः ये राजस्थान व उसके समीपवर्ती राज्य मध्यप्रदेश,गुजरात,हरियाणा,पंजाब में निवास करते है।

 गर्गवंशी ब्राह्मणों के क्षेत्र विशेष के अनुसार अन्य उपनाम

उपनामबहुसंख्यक क्षेत्र
गर्गवंशीफैजाबाद,आजमगढ़,सुल्तानपुर
गार्ग्यअवध
गुरु गर्ग ब्राह्मणमेवाड़,मालवा,अजमेरा,खेराड,शेखावाटी
गुरुजम्मू
गुरूवालमुजफ्फरनगर, सहारनपुर
गुरुद्वान,गुरुभानअवध क्षेत्र
कृष्ण गौड़जयपुर,ढूंढाड़,टोंक, हाड़ोती क्षेत्र कोटा,बूंदी,बारां,झालावाड़,सीकर

 गर्गवंशी ब्राह्मण समाज के गोत्र,शासन,कुलदेवियाँ— गुरु वंश से संबंधित होने से ये गायत्री माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते है जिनका भव्य मंदिर पुष्कर में स्थित है,इनका तीर्थ पुष्कर,धाम गया जी,वेद यजुर्वेद व शाखा माध्यंदिनि है,गर्गवंशी ब्राह्मण समाज 84 खापों में विभाजित है,राजपूत शासन के समय गुरु पदवी प्राप्त होने के कारण इनकी कुछ खापों में क्षत्रिय वर्ण की आभास प्रतीत होती है,इनके विभिन्न गौत्र व खांपो के अनुसार कुलदेवियों का वर्णन मिलता है जिन पर क्षेत्रीयता व आस्था का प्रभाव देखने को मिलता है इस समाज का विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित होने से कुलदेवियों पर मत भिन्न-भिन्न हो सकता हैं परंतु किसी की आस्था व विश्वास को महत्व देना सर्वोपरि है, समाज के गौत्र व कुलदेवियाँ निम्न प्रकार है—

Gotra wise Kuldevi list of Garg Vanshi Brahmin Samaj

क्रम संख्याकुलदेवीगौत्रखांप(सामाजिक गौत्र)
1चामुंडा माताकश्यपब्रह्मान्य, गंगोल्या,गंगरावल, काला, पड़िहार
2समदिरी माताकौशिकनागर, कनिवाल,पुंवार,कांटीवाल,मनोला
3सहदेवीभारद्वाजधरवान्या,धारण्या,खरवड़,खेरदा,रोहितवाल,दाहिमा,जयवाल,पंड्या
4कंकसिया मातागर्गपालीवाल,गोयल,दीक्षित,शुक्ल
5रुचिदेवीअत्रिजाजीवाल,अजेयश्रीया,श्रीमाल
6जयंती देवीपराशरदाहिमा,गुजरिया,डायवाल
7सती देवीमुद्गलगंगरावल,सांड,पंवार
8जीण माताअंगिरासिन्धोल्या,जोशी,आंधावल,फाँदर
9नरवरिया माताशांडिल्यसलोरा,सुरवाल्या,सुखवाडिया
10सत्यवती मातावशिष्ठसाख,सर्वोदय, सेठिया,कलावटिया
11कृष्णा देवीगौतमतुमड़िया,डिंडोळ्या,इन्दोरिया,भुंडवाल,भिन्दोला
12शीतला माताहरितचुहान्या,भुत, जोशी
13चरना देवीजातुकर्णीभींडर,बहरया
14संच्चिया माताभाकरवाल
15पीपाड़ माताब्रह्स्पत्यपीपाड़ा
16कल्याणी मातावत्सनागर, तुमड़िया,नागरवाल
17कंकसिया मातागार्ग्यहाड़ा, मोहन,कौशक,टिटवाला
18अम्बा देवीसौलंखि
19पथ्यारी देवीकविस्थमोहन

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