🙏 प्राचीन तीर्थ नवपल्लव पार्श्वनाथ 🙏
मुलनायक: लगभग 83 सेंटीमीटर पद्मासन मुद्रा में भगवान नवपल्लव पार्श्वनाथ दादा की ऊंची श्वेतवर्णीय की प्रतिमा जी है।
तीर्थ: यह मंगरोल शहर के जूनागढ़ जिले के कम्पानी फलिया में है।
ऐतिहासिकता: मंगरोल, जिसे मंगलपुर के रूप में जाना जाता है, सौराष्ट्र का एक प्राचीन बंदरगाह शहर है। प्राचीन समय में, यहाँ कई जैन देरासर थे क्योंकि यहाँ जैनियों की एक बड़ी आबादी निवास करती थी। नवपल्लव पार्श्वनाथ का यह देरासरजी बहुत प्रभावशाली है। ऐसा माना जाता है कि इस जिनालय जी का निर्माण महाराजा कुमारपाल ने करवाया था। वी.सं.1263 में यहाँ नवपल्लव पार्श्वनाथ की प्रतिमा जी प्रतिष्ठित की गई थी। आचार्य श्री विजय धर्मघोष सूरीश्वरजी की सलाह से मंत्री पेथड़शाह मंत्री ने विभिन्न स्थानों में 84 जैन देरासरों का निर्माण कराया और ऐसा ही एक स्थान मंगरोल है। उन्होंने यहां एक भव्य देरासर भी बनवाया। नवपल्लव नाम के पीछे एक कहानी है जो श्री समयसुंदर उपाध्याय द्वारा "श्री नवपल्लवभासा" में लिखी गई है। पहले, नवपल्लव पार्श्वनाथ की यह प्रतिमाजी वल्लभीपुर के एक देरासर में थी। जब वल्लभीपुर नष्ट हो गया, तो इन प्राचीन प्रतिमाओं को वहां से प्रभास पाटन, भीनमाल आदि में ले जाया गया। नवपल्लव पार्श्वनाथ की प्रतिमाजी को मंगरोल लाया गया। मंगरोल के रास्ते में, प्रतिमा की 2 उंगलियां टूट गईं। एक पल में, एक चमत्कार हुआ। अंगुलियाँ तुरंत जुड़ गईं (नवपल्लवित हो गईं)। इसलिए, इस प्रतिमा को नवपल्लव पार्श्वनाथ के नाम से जाना जाने लगा। नवपल्लव पार्श्वनाथ की इस प्रतिमा को राजा संप्रति कालिन माना जाता है। इस प्रतिमा को मंगरोल शहर के बाद "मंगलपुरा पार्श्वनाथ" के नाम से भी जाना जाता है।
🙏 पधारो नवपल्लव पार्श्वनाथ महातीर्थ स्पर्शना को 🙏
अन्य जिनालय: यहां 2 अन्य देरासर हैं। श्री सुपार्श्वनाथ भगवान के जिनालय की यात्रा एक आवश्यक है ।
दिशानिर्देश: केसोद रेलवे स्टेशन 25 किलोमीटर की दूरी पर है मंगरोल से। जूनागढ़ (गिरनार तीर्थ) और बरज तीर्थ यहाँ से पास हैं। यहां धर्मशाला और भोजशाला सुविधाएं उपलब्ध हैं। एक उपाश्रय भी है।
शास्त्र: नवपल्लव पार्श्वनाथ का उल्लेख "तीर्थमाला", "संवत् तीर्थमाला", "श्री सोम सौभाग्य काव्य", "३६५ श्री पार्श्वनाथ नाथमाला", "श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ छंद", "श्री भटेवा पार्श्वनाथ स्तवन" में किया गया है। पार्श्वनाथ स्तवन," नवपल्लव पार्श्वनाथ स्तवन "आदि में। खंभात में और राजस्थान में गोगुन्दा में नवपल्लव पार्श्वनाथ का जिनालय है। मुंबई के सांताक्रूज में करेडा पार्श्वनाथ जिनालय जी और कलीकुंड पार्श्वनाथ देरासर में, जिरावला तीर्थ में नवपल्लव पार्श्वनाथ की एक प्रतिमा है।
ट्रस्ट: श्री नवपल्लव पार्श्वनाथ श्वेतांबर जैन तीर्थ, कांपनी फलिया, पद: मंगरोल, तालुक: मंगरौल, जिला: जूनागढ़, राज्य: गुजरात -362 225, भारत। फोन:02878-222795
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एक नजर प्राचीन👀 तीर्थ की और 🙏
हर कदम प्राचीन महातीर्थो की ओर️🙏
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