Diwali 2020 Date And Time : दिवाली 2020 में कब है, जानिए लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजन विधि और कथा
Diwali 2020 Date And Time : हिंदू धर्म में दिवाली को एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के साथ- साथ कुबेर जी की भी पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी पृथ्वीं पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं तो चलिए जानते हैं दिवाली 2020 में कब है (Diwali 2020 Mai Kab Hai), लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त (Laxmi Puja Shubh Muhurat), दिवाली का महत्व (Diwali Ka Mahatva),दिवाली की पूजा विधि (Diwali Puja Vidhi) और दिवाली की कथा (Diwali Story)Diwali 2020 Date And Time: दिवाली का त्योहार (Diwali Festival) कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मानाय जाता है। इस दिन दीप जलाकर माता लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्री राम (Lord Rama) अयोध्या लौटकर आए थे। उस समय भगवान राम के स्वागत में अयोध्या वासियों ने उनका दीप जलाकर स्वागत किया था। इसी कारण से दिवाली को दीपों का त्योहार भी कहा जाता है। इसके अलावा इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है।
प्रदोष काल - शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 8 बजकर 07 मिनट तक
वृषभ काल - शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 7 बजकर 24 मिनट तक
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से (14 नबंवर 2020)
अमावस्या तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक (15 नबंवर 2020)
दिवाली का महत्व (Diwali Importance) कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाए जाने वाले त्योहार को दिवाली के नाम से जाना जाता है। इस दिन पूरे घर को दीप जलाकर सजाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राम वनवास काटकर आयोध्या वापस लौटे थे। इसलिए हर साल भगवान राम के स्वागत में दीप जलाएं जाते हैं। दिवाली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है इस दिन सुबह पूरे घर की अच्छी तरह से साफ सफाई की जाती है और घर को सजाया जाता है।
दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है। दिवाली के इस त्योहार को पटाखे जलाकर बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। शाम के समय भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के साथ-साथ कुबेर जी की भी पूजा की जाती है। दिवाली की पूजा में लोग अपने पैसों, गहनों और बहीखातों को भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के आगे रखते हैं। जिससे निरंतर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद उन्हें मिले।
दिवाली की पूजा विधि (Diwali Puja Vidhi)
1. दिवाली के दिन शाम के समय स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
2. इसके बाद एक चौकी पर गंगाजल डालकर उसे शुद्ध करके एक साफ कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान गणेश और लक्ष्मी जी की प्रतिमा स्थापित करें।
3. भगवान गणेश और लक्ष्मी जी की प्रतिमा स्थापित करने के बाद एक कलश स्थापित करें और उस पर स्वास्तिक बनाएं मौली से पांच गांठ बांधे।इसके बाद उस कलश पर आम के पत्ते रखें।
4. इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के आगे पंच मेवा, गुड़ फूल , मिठाई,घी , कमल का फूल ,खील बातसें आदि रखें और तेल साथ ही घी के दीपक भी जलाएं
5. तेल और घी के दीपक जलाने के बाद अपने गहने, पैसे और बहीखाते भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के आगे रखें।
6. इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें और माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
7. इस दिन श्री सूक्त का पाठ करना बहुत ही शुभ रहता है। इसलिए यह पाठ अवश्य करें और भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की आरती उतारें।
8. अंत में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी को मिठाईयों का भोग लगाएं।
8. अंत में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी को मिठाईयों का भोग लगाएं।
दिवाली की कथा (Diwali Story)
एक गांव में एक साहूकार था, उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल पर जल चढाने जाती थी. जिस पीपल के पेड पर वह जल चढाती थी, उस पेड पर लक्ष्मी जी का वास था। एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा मैं तुम्हारी मित्र बनना चाहती हूँ. लडकी ने कहा की मैं अपने पिता से पूछ कर आऊंगा। यह बात उसने अपने पिता को बताई, तो पिता ने हां कर दी। दूसर दिन से साहूकार की बेटी ने सहेली बनना स्वीकार कर लिया। दोनों अच्छे मित्रों की तरह आपस में बातचीत करने लगी। इक दिन लक्ष्मीजी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गई। अपने घर में लक्ष्मी जी उसका दिल खोल कर स्वागत किया. उसकी खूब खातिर की.।उसे अनेक प्रकार के भोजन परोसे। मेहमान नवाजी के बाद जब साहूकार की बेटी लौटने लगी तो, लक्ष्मी जी ने प्रश्न किया कि अब तुम मुझे कब अपने घर बुलाओगी। साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी को अपने घर बुला तो लिया, परन्तु अपने घर की आर्थिक स्थिति देख कर वह उदास हो गई।
उसे डर लग रहा था कि क्या वह, लक्ष्मी जी का अच्छे से स्वागत कर पायेगी। साहूकार ने अपनी बेटी को उदास देखा तो वह समझ गया, उसने अपनी बेटी को समझाया, कि तू फौरन मिट्टी से चौका लगा कर साफ -सफाई कर। चार बत्ती के मुख वाला दिया जला, और लक्ष्मी जी का नाम लेकर बैठ जा। उसी समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर उसके पास डाल गई। साहूकार की बेटी ने उस हर को बेचकर सोने की चौकी, था, और भोजन की तैयारी की।थोडी देर में श्री गणेश के साथ लक्ष्मी जी उसके घर आ गई।साहूकार की बेटी ने दोनों की खूब सेवा की, उसकी खातिर से लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न हुई और साहूकार बहुत अमीर बन गया। दिवाली पर झाडू का महत्व (Diwali Per Jhadu Ka Mahatva) दिवाली पांच दिनों का त्योहार माना जाता है। जिसमें धनतेरस से ही घर की साफ सफाई शुरू होने लगती है। धनतेरस से लेकर दिवाली तक झाडू को खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। क्योंकि झाडू को माता लक्ष्मी का स्वरूप ही माना गया है। माता लक्ष्मी को साफ-सफाई बहुत ही अधिक प्रिय है और जिस घर में गंदगी होती है। वहां माता लक्ष्मी वास नहीं करती। इसी कारण से दिवाली पर झाडू को अधिक महत्व दिया जाता है। कैसे मनाई जाती है दिवाली (Kaise Manayi Jati Hai Diwali) दीपावली का पर्व प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। दीपावली के पांच दिवसीय पर्व के दौरान पूरे देश में उमंग और उत्साह का वातावरण बना रहता है। इस दौरान घरों में साफ-सफाई तथा प्रकाश की उचित व्यवस्था की जाती है। दीयों के जलने से घरों में कुछ अलग ही जगमगाहट रहती है। दिवाली क्यों कही जाती है सिद्धि की रात्रि (Diwali Kyu Kahi Jati Hai Sidhi Ki Ratri) दीवाली कार्तिक मास की अमावस्या की रात को पड़ती है। शास्त्रों के अनुसार कुछ रात्रियां ऐसी होती हैं। जिन पर आप साधना करके सिद्धियां प्राप्त कर सकते हैं।दीवाली की रात को तंत्र मंत्र की रात भी इसलिए ही माना जाता है। यह रात्रि तंत्रिकों के लिए भी विशेष मानी जाती है। अमावस्या होने के कारण ही इस रात पर लोग अपने ईष्ट की आराधना करते हैं। दीवाली की रात को मंत्र सिद्धि के लिए भी विशेष मानी जाती है। अगर कोई भी किसी प्रकार के मंत्र को सिद्ध करना चाहता हैं तो वह दीवाली की रात में उस मंत्र का सिद्ध कर सकता है।
दिवाली के मंत्र (Diwali Ka Mantra)
1. ॐ श्रीं ह्रीं श्री कमले कमलालयै मम प्रसीद-प्रसीद वरदे श्रीं ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नम:।। ॐ श्रीं श्रियै नम: स्वाहा।
2. ॐ श्रीं क्रीं चं चन्द्रायनम:।
3.. ॐ ह्रीं ह्रीं हृं पुत्रं कुरु कुरु स्वाहा।
4. ॐ देवकी सुत गोविन्दं वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणंगत:।।
5.ॐ देवेन्द्रणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्र प्रिय भामिनि। विवाहं भाग्य मारोग्यं शीघ्र लाभं च देहिमे।।
माता लक्ष्मी की आरती (Goddess Laxmi Aarti)
ओउम् जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हर विष्णु विधाता।।
उमा रमा ब्रहमाणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि पाता।
तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की त्राता।।
जिस घर में तुम रहती, सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।।
तुम बिन यज्ञ न होवे, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ।।
शुभगुण मंदिर सुंदर, श्रीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता।।
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता ।
बोलो भगवती महालक्ष्मी की जय।।
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